जबकि, पिछली सरकारें जनता की नाराजगी के डर से पानी की दरें बढ़ाने से पीछे हटती रही हैं। इस घोषणा के बाद अब पेयजल उपभोक्ता पानी महंगा होने और जलदायकर्मी उनकी सेवा शर्तें बदले जाने को लेकर आशंकित हैं।
जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी का कहना है कि कॉर्पोरेशन के क्रियाशील होने से विभाग और इसकी सेवाओं का निजीकरण नहीं होगा। पानी की दरों में 15 वर्ष से कोई बदलाव नहीं हुआ है और लोगों में पानी की बचत, दुरुपयोग को लेकर जागरूकता रहे, इसके लिए समय-समय पर पानी की दरों (Bhajanlal government increase water prices) में संशोधन होते रहेंगे।
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इस तरह आशंका…
-पेयजल परियोजनाओं को कार्पोरेशन के अधीन करने की कवायद सरकार ने एक महीने पहले ही शुरू कर दी थी। हाल ही पानी चोरी व दुरुपयोग रोकने, अवैध जल कनेक्शन काटने को लेकर जो आदेश जारी किए गए, वे राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉर्पोरेशन एक्ट के अनुसार ही किए। -कार्पोरेशन का अपना बोर्ड होता है। बोर्ड के पास ही नीति-नियम की स्वीकृति से लेकर सभी प्रशासनिक अधिकार होते हैं। विभाग के तकनीकी कर्मचारी और इंजीनियर भी कार्पोरेशन के अधीन होंगे और उनकी सेवा शर्तें भी कार्पोरेशन ही तय करेगा।
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यह भी बनेगी स्थिति!
-पेयजल सेवाओं के कई मामलों में उपभोक्ताओं पर 5 गुना तक जुर्माने की मार होगी।-कार्पोरेशन की वित्तीय हालत खराब हुई तो कार्मिकों को वेतन के लिए तरसना होगा।
तब लिया था आदेश वापस
तत्कालीन सरकार ने 11 अप्रेल, 2018 को प्रदेश में पेयजल दर (rajasthan increase water prices) में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी का आदेश जारी किया था। विरोध के बाद आदेश वापस लेना पड़ा।तो जेजेएम के कर्ज को चुकाएंगे उपभोक्ता
सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत 50 हजार करोड़ रुपए की पेयजल परियोजनाएं (Rajasthan water projects) स्वीकृत की हैं। इन परियोजनाओं के लिए अलग-अलग बैंकों से कार्पोरेशन के माध्यम से कर्ज लेने की योजना है। कार्पोरेशन जलदाय विभाग की संपत्तियों के आधार पर कर्ज लेगा। पहले ही जल जीवन मिशन के लिए 8 हजार 600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है।विभाग और विभाग की सेवाओं का निजीकरण किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। सरकार बजट सत्र में ही घोषणा को वापस ले।- कुलदीप यादव, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान वाटर वर्क्स तकनीकी कर्मचारी संघ, राजस्थान