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जयपुर

नगर निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति पर गरमाई सियासत, नेता प्रतिपक्ष जूली बोले- ये कदम संविधान के खिलाफ

Rajasthan News: भजनलाल सरकार द्वारा 49 नगर निकायों में प्रशासक नियुक्त किए जाने के फैसल पर विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने सवाल उठाए हैं।

जयपुरNov 26, 2024 / 09:48 pm

Nirmal Pareek

Rajasthan Politics: भजनलाल सरकार ने सोमवार देर रात 49 निकायों में प्रशासक नियुक्त किए थे। इसको लेकर अब विवाद सामने आया है। विधानसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश के 49 नगर निकायों में प्रशासक लगाना असंवैधानिक है। सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाला है।
दरअसल, भजनलाल सरकार ने 25 सितंबर को 49 नगर निकायों में प्रशासक की नियुक्ति कर वन स्टेट वन इलेक्शन लागू करने के संकेत दे दिए हैं। स्वायत्त विभाग की अधिसूचना के मुताबिक, राज्य की 49 नगर निकायों में नए निर्वाचित बोर्ड के गठन होने तक प्रशासक की नियक्ति की गई है।
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यह निर्णय पूर्णतया असंवैधानिक- जूली

नेता विपक्ष टीकाराम जूली ने अपने एक्स हैंडल पर लिखते हुए कहा कि प्रदेश के 49 नगर निकायों में प्रशासक लगाना असंवैधानिक! राज्य सरकार द्वारा 49 नगर निकायों में प्रशासक लगाये जाने का निर्णय पूर्णतया असंवैधानिक और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाला है। सरकार ने राज्य के पांच नगर निगम, 20 नगर परिषद और 24 नगरपालिकाओ का कार्यकाल समाप्त होने का तर्क देकर इनमें सरकारी अधिकारियों को प्रशासक लगा दिया है। जबकि सरकार को इन निकायों की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए इनमें तत्काल चुनाव कराने की घोषणा करनी चाहिए थी।
https://twitter.com/TikaRamJullyINC/status/1861424836569862484
टीकाराम जूली ने मांग करते हुए हा कि हमारी सरकार से मांग है कि इन निकायों के अविलम्ब चुनाव कराये जायें। इसके पीछे राज्य सरकार ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ एजेंडे का बहाना बना रही है, लेकिन वस्तुतः राज्य की भाजपा सरकार इन नगर निकायों के चुनाव अपनी पराजय के भय से नहीं कराना चाहती।

सरकार के रवैये को बताया अलोकतांत्रिक

उन्होंने कहा कि प्रदेश के अनेक नगर निकायों का कार्यकाल पूरा होने में अभी एक साल और इससे ज्यादा का समय शेष है। तब तक राज्य सरकार कार्यकाल पूरा कर चुके नगर निकायों में नगर निगमों को जिला कलेक्टर, नगर परिषदों को एडीएम और नगरपालिकाओं को एसडीएम स्तर के सरकारी अधिकारियों के भरोसे चलाना चाहती है। सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाला है। आम जनता को उनके निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से वंचित करने की राज्य सरकार की यह चेष्टा अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है।
सरकार के इस कदम से इन निकायों में अव्यवस्था पनपेगी और आम जनता अपनी रोजमर्रा की समस्याओं के निराकरण के लिए तरसेगी। नगर निकायों में नौकरशाही को हावी करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
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‘अपनी मनमानी थोपना चाहती है सरकार’

यह दुर्भाग्य का विषय है कि जब सब ओर संविधान दिवस मनाने की तैयारियां चल रही थी। उसके एक दिन पहले राजस्थान में राज्य सरकार ने यह कदम उठाकर सिद्ध किया है कि सरकार लोकतंत्र पर अपनी मनमानी थोपना चाहती है और उसका संविधान में कोई विश्वास नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा संविधान के हितों की रक्षा की है। हम हर कीमत पर इसकी रक्षा करते रहेंगे। जय हिंद, जय संविधान।
गौरतलब है कि राजस्थान में में 25 नवंबर को 5 नगर निगम, 20 नगर परिषद और 24 नगर पालिकाओं के बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो गया। अब नया बोर्ड बनने तक यही प्रशासक इन नगरीय निकायों में फैसले लेते हुए सरकार के पास प्रस्ताव भिजवाएंगे। सरकार ने प्रशासक के तौर पर जहां नगर निगम है वहां कलेक्टर, जहां नगर परिषद है वहां एडीएम और जहां नगर पालिका है, वहां एसडीएम को नियुक्त किया है।

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