जयपुर

इनहेलर ही अस्थमा के लिए वरदान

Asthma : जयपुर . बेरोक Zindagi Campaign के दूसरे चैप्टर ने आज Multi-Media Awareness Campaign अस्थमा के लिए ‘इनहेलर्स है सही’ को launch किया। यह नया अभियान Asthma के विषय में जागरुकता और शिक्षा पर फोकस करता है और साथ ही इसमें Inhaler के साथ चिकित्सा और Patient को लगातार इस बात के लिए प्रेरणा भी दी जाती है कि वह अवरोध रहित जीवन जीए।

जयपुरDec 16, 2019 / 07:19 pm

Anil Chauchan

Asthma

asthma : जयपुर . बेरोक जिंदगी अभियान ( Zindagi Campaign ) के दूसरे चैप्टर ने आज मल्टी मीडिया जागरूकता अभियान ( Multi-Media Awareness Campaign ) अस्थमा के लिए ‘इनहेलर्स है सही’ को लॉन्‍च ( launch ) किया। यह नया अभियान अस्थमा ( Asthma ) के विषय में जागरुकता और शिक्षा पर फोकस करता है और साथ ही इसमें इन्हेलर्स ( inhaler ) के साथ चिकित्सा और मरीज ( patient ) को लगातार इस बात के लिए प्रेरणा भी दी जाती है कि वह अवरोध रहित जीवन जीए।

इस अभियान का उद्देश्य इनहेलेशन थेरेपी के कलंक को मिटाना है और मुख्य मुद्दों और थेरेपी से मिथकों के विषय में बताते हुए, इसे अधिक सामाजिक स्वीकृति दिलाना है। इससे अभिभावकों और फिजिशियन के बीच अधिक संवाद करने में मदद मिलेगी और मुख्य रूप से यह बताया जाएगा कि इनहेलर्स बच्चों के लिए उपयुक्त है और सभी स्तरों की गंभीरता के लिए इनहेलर्स एडिक्टिव नहीं हैं औेर ओरल सोलूशन्स की तुलना में इससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।

अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि अस्थमा एक लंबी अवधि की बीमारी है, जिसकी पहचान आम तौर पर वायुमार्ग में जलन और वायुमार्ग के संकरा हो जाने से की जाती है, यह समय के साथ घटबढ़ सकती है। ऐसा अनुमान है कि जयपुर के स्थानीय डॉक्टर्स रोजाना अस्थमा की बीमारियों के 65 मरीजों को देखते हैं। पीडियाट्रिक अस्थमा सेगमेंट में भी वर्ष दर वर्ष उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, डॉक्टरों का मानना है कि वह हर महीने अनुमानत: 30 से 35 नए मामले अस्थमा से पीडि़त बच्चों के देखते हैं। अभी तक 2019 में औसतन जयपुर में पिछले वर्ष की तुलना में 45 प्रतिशत अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है, जयपुर की लगभग एक तिहाई आबादी किसी समय तक अस्थमा के रोग का शिकार हो सकती है जिसमें अधिकतर 20 वर्ष से कम आयु के बच्चे होंगे। फिलहाल पिछले कुछ वर्षों में इनहेलेशन थेरेपी का इस्तेमाल करने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है, अनुमानत: 65 प्रतिशत अस्थमा के मरीज इनहेलर का इस्तेमाल बंद कर देते हैं।

जयपुर में अस्थमा के प्रचलन का सबसे बड़ा कारण वायु प्रदुषण के अलावा बढ़े हुए एयर पारटिकुलेट तत्व, पॉलेन, स्मोकिंग, खाने की आदतें, पोषक तत्‍वों की कमी, आनुवंशिकी प्रवृत्ति और बड़े पैमाने पर अभिभावकों की लापरवाही है। फेफड़े की बीमारियों का प्रतिशत और संख्या, विशेषकर जयपुर में काफी बढ़ी है। अस्थमा के तेजी से बढऩे के बावजूद, भारत में इसके नियंत्रण की प्रक्रिया सभी बीमारियों से खराब है।

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