समारोह में कटारिया ने कहा कि आज परीक्षा कराना टेढ़ी खीर है। आरपीएससी सदस्य भी पकड़ा जाए, तो कुएं में ही भांग प्रतीत होती है। गिरावट के ऐसे वक्त में गरीब बच्चा प्रतियोगिता में आगे कैसे बढ़ेगा, जबकि अयोग्य के हाथ में पेपर हो। अयोग्य आगे आएंगे तो भविष्य कैसे संवरेगा। ऐसे हालात में जीजीटीयू द्वारा परीक्षाएं शुचिता से कराना बड़ी बात है। काम चुनौतीपूर्ण है, लेकिन हमारी मिट्टी की ताकत असंभव को संभव करने की है। गर्दनें कटने पर भी इसीलिए हमारा अस्तित्व बचा है।
युवा पीढ़ी में सकारात्मकता लानी होगी
उन्होंने कहा कि आज युवा पीढ़ी में सकारात्मकता लानी होगी। आलोचना से ही काम नहीं चलेगा। सकारात्मक सोच के साथ सही दिशा में काम करें, तो सफलता निश्चित है। शिक्षण संस्थाओं को शिक्षा मंदिर बनाए जाएं, तभी उद्धार होगा। यहां पत्थर नहीं मानव गढ़े जाते हैं। उससे ही भविष्य है। गोविंद गुरु के संघर्ष का उल्लेख कर कहा कि महामानव के नाम से यह विश्वविद्यालय है। उनकी तरह संघर्ष के रास्ते को अपनाकर अमरता की ओर बढ़ें।
इससे पहले कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी ने विश्वविद्यालय में सीमित संसाधनों के बावजूद अब तक की उपलब्धियों की चर्चा कर मौजूदा चुनौतियां बताई। मदद की अपेक्षा पर विशिष्ट अतिथि सांसद कनकमल कटारा ने प्रोजेक्ट बनाकर भेजने पर सहयोग का भरोसा दिलाया। शुरुआत में छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील सुरावत ने स्वागत कर विश्वविद्यालय को पूरे राज्य में एक मॉडल रूप में स्थापित होने की उपलब्धियों का उल्लेख किया। संचालन शोध निदेशक डॉ. नरेंद्र पानेरी ने किया। आभार कुलसचिव सोहनसिंह काठात ने व्यक्त किया।