वे शुक्रवार को कानोड़िया कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में बतौर वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कश्मीर से धारा 370 (
Section 370 ) हटाने के पीछे सरकार की कोई देशहित जैसी मंशा नहीं है, बल्कि देश में बढ़ रही बेरोजगारी और डूबती अर्थव्यवस्था को इसकी आड़ में दबा देना है और सरकार इसमें सफल भी हो गई है।
पिछले कुछ दिनों से ये मुद्दे गौण हो गए हैं। एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (
PM Narendra Modi ) राष्ट्र के नाम संबोधन में कहते हैं कि कश्मीर में शांति है और सब कुछ ठीक है। मेरा सवाल है कि जब सब कुछ ठीक ही है, तो वहां एक लाख सैनिक क्यों डेरा डाले पड़े हैं। इन सब से सरकार कश्मीरियों की आवाज (
voice of Kashmiris ) दबा रही है। केंद्र ने एक राज्य का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है। जिस देश में गरीब को दो वक्त की रोटी नहीं मिल सकती, रोजगार नहीं मिल रहा, उस देश के चांद पर यान भेजने का कोई औचित्य नहीं है।
लोगों में आज डर का माहौल मॉब लिंचिंग पर उन्होंने कि लोगों को सरकार धर्म के नाम पर तोड़ रही है। भीड़ लोगों को मार रही है और इसे महिमा मंडित किया जा रहा है। पिछले दिनों प्रदेश में मॉब लिंचिंग के एक केस में लोगों ने हत्यारे के लिए पैसे इक्कठा किए, उसके समर्थन में रैली निकाली और कोर्ट में भी नारे लगाए। आज हमें सोचने की जरूरत है कि हम कहां जा रहे हैं, क्या यह वही राष्ट्र है, जो महात्मा गांधी चाहते थे? इन सबके खिलाफ चुप रहना भी अपराध है।
आवाज उठाने पर देशद्रोही का टैग तुषार गांधी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देश में एक नई ही परिपाटी शुरू हो गई है। अगर सरकार के खिलाफ कुछ बोलो तो आप को देशद्राही और गद्दार करार दे दिया जाता है। आज लोकतंत्र खतरे में है। अभिव्यक्ति की आजादी छीनी जा रही है।
पीएम अपने मन की तो बात करते हैं, लेकिन लोगों की नहीं सुनते उन्होंने कहा कि सरकार ने सूचना के अधिकार को कमजोर बना दिया है। ये सब सरकार ने अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए किया है। सबसे हैरानी वाली बात ये है कि लोग चुपचाप बैठे हैं, गांधी के जमाने में रोलेट एक्ट के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे थे, लेकिन आज किसी को मतलब ही नहीं है। देश की इकोनॉमी डूब रही है, करोड़ों युवा बेरोजगार बैठे हैं। सत्ताधारियों ने लोगों को धर्म-जाति के नाम पर बांट रखा है। हमारे प्रधानमंत्री अपने मन की बात तो करते हैं, लेकिन जनता के मन की बात नहीं सुनते।