एलएलएम (मास्टर इन लॉ) कर चुकी रचना का मानना है कि जब-तक बचपन नहीं सुधरेगा स्वच्छ और स्वस्थ समाज की परिकल्पना साकार नहीं हो सकती। देश का नागरिक यदि शिक्षित और जागरूक होगा तो उसकी उन्नति भी देश के विकास में भागीदार बन सकेगी।
शादी के बाद भी जारी रखूंगी सेवा 29 वर्षीय रचना के अनुसार शादी के बाद भी मुहिम जारी रहेगी। ससुराल पक्ष से शर्त भी रखूंगी कि शिक्षा के उजियारे में कोई बाधा नहीं आए। वहां रहकर यदि कोई बच्चा इस अधिकार से वंचित रहता है तो उसके लिए भी संघर्ष बरकरार रहेगा।
पिता से मिली प्रेरणा
रचना के पिता सुल्तान सिंह शारीरिक शिक्षक हैं और मां प्रिंसीपल। रचना ने बताया कि जब इन दोनों को स्कूली बच्चों से घिरा देखती थी। लेकिन, स्कूल जाने के दौरान रास्ते में उन बच्चों को देखकर भी मन कचौट उठता था। जो किसी कारणवस स्कूल नहीं जा पाते थे। इनके बारे में पिता से खुलकर बातचीत की।
उन्होंने राह दिखाई कि पहले बच्चों के माता-पिता को विश्वास दिलाना होगा। बस फिर क्या था। जुट गई मुहिम में शुरूआत में थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन, आज वहीं बच्चे दीदी नमस्ते और गुड मॉर्निंग कहते हैं तो मन प्रफुल्लित हो उठता है। बच्चों के नियमित स्कूल जाने पर इनके माता-पिता के चेहरों पर भी मुस्कान लौट आई है।