प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी, शार) पर तैयारियां चल रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अत्याधुनिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-3 (एलवीएम-3 एम-2) से इन उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाएगा। इसरो ने यह भी कहा है कि श्रीहरिकोटा स्थित दर्शक दीर्घा से इस प्रक्षेपण को देखा जा सकता है। इसके लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गई है।
निचली कक्षा में 648 उपग्रहों का नक्षत्र
वन-वेब धरती की निचली कक्षा में 648 उपग्रहों का एक नक्षत्र तैयार कर रही है। कंपनी के पहले से ही 428 उपग्रह (66 फीसदी) पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए जा चुके हैं और वह अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन आर्कटिक क्षेत्र सहित भारत में अपनी हाई-कनेक्टिविटी सेवाएं शुरू कर रही है। इस कंपनी में भारती मित्तल की बड़ी हिस्सेदारी है।
इसरो ने की पूरी तैयारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि एलवीएम-3 के क्रायोजेनिक चरण और उपकरण रखने वाले खंड की एसेंबलिंग पूरी की जा चुकी है। सभी 36 उपग्रहों को यान में इन कैप्सुलेट कर दिया गया है और जांच की अंतिम प्रक्रिया चल रही है।
जीएसएलवी मार्क-3 का यह पहला वाणिज्यिक मिशन
वन-वेब ने इन उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो की वाणिज्यिक इकाई न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एन-सिल) के साथ करार किया है। जीएसएलवी मार्क-3 का यह पहला वाणिज्यिक मिशन है। अभी तक इसरो ने वाणिज्यिक मिशन केवल पीएसएलवी से ही लॉन्च किए हैं।
…इसलिए जीएसएलवी को चुना
हालांकि, पीएसएलवी की विश्वसनीयता को देखते हुए वन-वेब मिशन के लिए उस पर भी विचार किया गया। लेकिन, उपग्रहों की शृंखला स्थापित करनी है, इसलिए एक साथ अधिक से अधिक उपग्रहों को लॉन्च करना होगा। जीएसएलवी मार्क-3 से पृथ्वी की निचली कक्षा में (600 किमी तक) 8 हजार किलोग्राम वजनी उपग्रहों को लॉन्च किया जा सकता है। वन-वेब शृंखला के उपग्रहों का औसतन भार 125 से 150 किलोग्राम है। इसलिए, जीएसएलवी मार्क-3 से एक साथ वन-वेब के 36 उपग्रह आसानी से लॉन्च होंगे। वहीं, पीएसएलवी से इन 36 उपग्रहों को लॉन्च करने में कई मिशन लग सकते हैं।