अब अभ्यर्थियों का कहना है कि फ्रेशर और संविदा में समानता लाने के लिए चयनित सीटों का बंटवारा मध्यप्रदेश की तरह 80:20 के अनुपात में किया जाना चाहिए। इस समय राज्य में फार्मेसी के मात्र दो सरकारी कॉलेज हैं। राज्य के बाहर के विश्वविद्यालय से तो काफी अधिक प्रतिशत की अंकतालिकाएं बनी होती हैं।
कांग्रेस सरकार में नियम बदले
भाजपा सरकार ने फार्मासिस्ट भर्ती-2018 को परीक्षा से कराने का निर्णय लिया था। जिसे कांग्रेस सरकार के आने के बाद नियम बदलकर मेरिट आधारित करवा दिया गया। इसके बाद फर्जी पंजीकरण के मामले सामने आने के कारण भर्ती अटक गई।
2012 में परीक्षा से हुई थी भर्ती
वर्ष 2012 की फार्मासिस्ट भर्ती प्रक्रिया परीक्षा से थी जिसमें कोई समस्या सामने नहीं आई। अब अनुभव वालों को बतौर बोनस 30 नंबर तक दिए जा रहे हैं। उन्हें परीक्षा में मात्र 30-35 नंबर लाने होते हैं, जबकि फ्रेशर फार्मासिस्ट को 70 में से 60-65 अंक लाने होते हैं। अनुभव और फ्रेशर दोनों को मौका मिलता है।
संविदा भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर पिछले कई समय से राजस्थान नर्सिंग ऑफिसर (पूर्व नाम नर्स ग्रेड-2) की स्थायी भर्ती लिखित परीक्षा की बजाय नर्सिंग डिग्री में प्राप्त प्रतिशत अंकों के आधार पर होती आ रही है। इससे बड़ी समस्या यह सामने आ रही है कि यदि कोई अभ्यर्थी कॉलेज डिग्री में अच्छे प्रतिशत नहीं ला पाया तो उसके लिए सरकारी नौकरी पाना मुश्किल है। भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से होने पर अभ्यर्थी के पास सरकारी नौकरी पाने का एक मौका रहता है। वर्तमान में नर्सिंग ऑफिसर भर्ती-2023 भी प्रतिशत अंकों के आधार पर कराई गई। जबकि फरवरी 2024 में प्रस्तावित संविदा भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर करवाई जा रही है।