गौरतलब है कि पाकिस्तान आए दिन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन से जानकारी जुटाने में जुटा रहता है वहीं पंजाब में नशीले पदार्थ और हथियारों की तस्करी को बढ़ावा देता है। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर के इलाके में आए दिन ही ड्रोन का उपयोग आतंकियों की मदद के लिए करता है। ऐसे में यह एंटी ड्रोन गन काफी उपयोगी साबित होने जा रही है।
गन को तैयार करने वाले क्राउन ग्रुप के सीईओ बिग्रेडियर राम छिल्लर (रिटायर्ड) बताते हैं कि अभी तक जो तकनीक हैं वह निश्चित जगह पर काम करती हैं। अब फाइटर और मिसाइल अगर ड्रोन या यूएवी को मारते है तो काफी महंगा पड़ेगा। ऐसे में एंटी गन बेहतर विकल्प है। इसे कहीं पर ले जाया जा सकता है और उपयोग किया जा सकता है। यह मात्र तीन किलो वजनी है। इसे टांगकर सीमा पर आराम से पेट्रोलिंग की जा सकती है। राजस्थान, पंजाब सहित सहित अन्य प्रदेशों से लगी लंबी सरहदों पर इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे फारवर्ड बेस या फिर सीमा चैकियों पर भी आसानी से तैनात किया जा सकता है।
रात में भी उतनी ही घातक
दुश्मन देश ड्रोन से किसी भी कार्रवाई का अंजाम देने का काम रात में ही करते हैं क्योंकि इस समय दृश्यता काफी कम हो जाती है और इन्हें किसी हथियार से मार गिराना आसान नहीं होता है। ऐसे में 1.9 किलोमीटर तक मार करने वाली यह गन रात में भी उतनी ही सफाई से ड्रोन को मार गिराती है। सबसे खास बात यह है कि गन में लगा सिस्टम ही ड्रोन को खोज लेता है और फिर सटीक निशाना लगाकर सिपाही मार गिराते हैं। इस गन को लेकर भारतीय सेना, सीमा सुरक्षा बल सहित कई अन्य सुरक्षा बलों ने दिलचस्पी दिखाई है।