चिकित्सकों के अनुसार ये ऑपरेशन काफी बड़ा व महंगा होता है। मरीज के लिए इतना महंगा ऑपरेशन करवा पाना संभव नहीं था लेकिन यहां यह मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में मुफ्त किया गया। यह ऑपरेशन इमरजेंसी में तुरंत ही करना पड़ता है, तभी बीमार की जान बच पाती है। एम्स जोधपुर के डायरेक्टर डॉ. सीडीएस कटोच, अधीक्षक डॉ महेंद्र कुमार गर्ग व उप निदेशक प्रशासन एनआर विश्नोई ने पूरी टीम को इस उपलिब्ध पर बधाई दी।
ये थी मरीज को तकलीफ 34 वर्षीय मरीज जोधपुर से 70 किलोमीटर दूर रहता है। उसे सुबह अचानक छाती में दर्द हुआ, जो कि कुछ ही समय में पीठ में पीछे की तरफ भी होने लगा। उसके परिवार वाले बीमार को तुरंत जोधपुर लाए। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक सक्सेना ने इको करके अओर्टिक डिसेक्शन का पता लगा लिया व उसे एम्स की इमरजेंसी में भेज दिया। एम्स में सिटी स्कैन की जांच में भी यह सही पाया गया।
इनकी मेहनत से मिली जिंदगी कार्डियक सर्जरी विभाग के अतिरिक्त आचार्य डॉ आलोक शर्मा ने अपनी टीम डॉ अनुपम दास, डॉ कुबेर शर्मा, डॉ सुरेंद्र पटेल, डॉ दानिश्वर मीणा, डॉ मधुसूदन कट्टी के साथ इस ऑपरेशन को दस घंटे में सफल अंजाम तक पहुंचाया। एनेस्थीसिया विभाग से डॉ सादिक मोहम्मद, डॉ दीपांशु व डॉ शिप्रा के साथ नर्सिंग ऑफिसर मनरा राम, संजय भाटी, गोमा राम ने सहयोग किया। कमलेश पंवार के नेतृत्व में परफ्यूजन टीम पूजा शर्मा, देवेंद्र, अनीता व सीजी ने भाग लिया।
क्या है अओर्टिक डिसेक्शन यह बीमारी महाधमनी के सामान्यत: जन्म से ही कमजोर होने की वजह से 20 से 40 वर्ष की उम्र में हो जाती है। इसमें महाधमनी के अंदर से ही फटकर एक परत (डिसेक्शन) बन जाती है। इस वजह से शरीर के अंगों जैसे हार्ट, दिमाग, लीवर, किडनी व आंतों में खून की कमी हो जाती है तथा अंग काम करना बंद कर देते है। करीब 33 प्रतिशत मरीज 24 घंटे में व करीब 50 प्रतिशत मरीज शुरुआत के 48 घंटों में ऑपरेशन के अभाव या देरी की वजह से मर जाते है।