वाहन चालकों को इस दूरी को तय करने के लिए 6 से 7 घंटे लग रहे हैं जबकि, फ्लाईओवर प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले यह दूरी 2 से 3 घंटे में पूरी हो रही थी। जाम हो तो ढूंढ़ने से भी ट्रेफिक पुलिस नहीं मिलती। स्थानीय लोग ही जाम हटाने का प्रयास करते हैं।
समय बर्बादी: तय समय से 2 से 5 घंटे तक ज्यादा समय लगने से निर्धारित काम प्रभावित हो रहे हैं। आपातकालीन स्थिति: गंभीर मरीज, आगजनी, दुर्घटनाग्रस्त स्थितियों से भी जूझना पड़ रहा है। कई बार एंबुलेंस फंसने से मरीज की जान सांसत में आ चुकी है।
प्रदूषण: जाम वाले हिस्से में वाहनों के धुएं से परेशानी बढ़ गई है। प्रदूषण लेवल ज्यादा है। पेट्रोल-डीजल खपत: सामान्य स्थिति में कार से जयपुर से किशनगढ़ जाने के दौरान 800 से 900 रुपए का पेट्रोल खर्च होता है, लेकिन अभी पेट्रोल की खपत करीब 40 प्रतिशत बढ़ गई यानि 320 से 350 रुपए तक ज्यादा भार आ गया।
वाहन मेंटीनेंस: गड्ढों के कारण टायर खराब हो रहे हैं। कई वाहनों के टायर में कट लगने के मामले भी सामने आए हैं। इसका खर्चा अलग।
एक साल में ही करीब 475 करोड़ रुपए टोल वसूला जा रहा
एक साल में वसूला 475 करोड़ रुपए टोल… इस रूट पर ठीकरिया और किशनगढ़ टोल है, जहां से हर दिन करीब एक लाख पीसीयू वाहन गुजरते हैं। यहां एक दिन में करीब 1.30 करोड़ रुपए टोल राशि ली जा रही है। इस तरह एक साल में ही करीब 475 करोड़ रुपए टोल वसूला जा रहा हैं। सवाल यह है कि जब रूट पर सुगम आवाजाही ही नहीं तो फिर टोल क्यों लेते रहे? दस में से छह
फ्लाईओवर तो कुछ माह पहले पूरे हुए है, जबकि उससे पहले तो ज्यादातर जगह हालात खराब ही रहे।