364 साल पहले आए सांगानेर
दरगाह इंतेजामिया कमेटी के सचिव अब्दुल मजीद ने बताया कि बाबा का पूरा नाम शेख अलाउद्दीन हसन कादरी चिश्ती है। जो 364 साल पहले मुलतान (वर्तमान पाकिस्तान) से तत्कालीन फौज के साथ
सांगानेर आए थे। शेख फौज में धर्मगुरू के तौर पर सेवाएं देते थे। वर्तमान में जिस जगह उनकी दरगाह है, वहीं से उन्होंने इंसानियत का पैगाम दिया।
कई पीढ़ियों से दरगाह की खिदमत कर रहे फैज अली कादरी ने बताया कि बाबा ने हमेशा दीन- दुखियों की भलाई के लिए कार्य किया, ऐसे में बहुत कम समय में उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया। तत्कालीन प्रशासन की ओर से उन्हें सुविधाएं दी गई। उनके निधन के बाद यहीं पर उनकी मजार बनाई गई। जहां आज बड़ी संख्या में लोग जियारत करते हैं।
उर्स के दौरान यह रहेंगे कार्यक्रम …
13 नबंर को दरगाह में सुबह 8 बजे कुरआन ख्वानी, रात 8 बजे मिलाद शरीफ और उसके बाद महफिले कव्वाली होगी। इस दौरान चादरें पेश की जाएंगी। वहीं 14 नवंबर को सुबह कुरआन ख्वानी होगी, सुबह 10 बजे फातिहा और लंगर का आयोजन होगा। शाम को कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन होगा।