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जयपुर

गब्बर नहीं, जनता का सवाल… दिवाली कब है, कब है दिवाली…, जाने कब कहां मनेगा त्योहार

जयपुर स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में हुई धर्मसभा में 80 से अधिक विद्वानों ने दिया निर्णय, 31 अक्टूबर को होगी दिवाली, शहर के अन्य ज्योतिषी फैसले से असंतुष्ट

जयपुरOct 15, 2024 / 09:58 pm

pushpendra shekhawat

diwali
दीपावली मनाने को लेकर देशभर में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ विद्वान और ज्योतिषाचार्य 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं, जबकि कुछ 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन का समर्थन कर रहे हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, बिहार, उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों में सरकारी अवकाश 31 अक्टूबर को ही है और बैंकों में भी इसी दिन छुट्टी रहेगी।
सोमवार को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर में अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् की ओर से दीपावली पर्व निर्धारण के लिए एक धर्मसभा का आयोजन किया गया। इस धर्मसभा में ज्योतिषाचार्य, धर्मशास्त्री और विद्वानों ने विभिन्न धर्मशास्त्रों में वर्णित संदर्भों के आधार पर अपने विचार साझा किए।
गहन विमर्श के बाद विद्वानों ने सूर्य सिद्धांत के आधार पर 31 अक्टूबर को दीपमालिका पर्व मनाने पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया। विद्वानों का कहना है कि 31 अक्टूबर को रातभर अमावस्या है, जो कि कर्मकाल (पुण्य काल) के लिए आवश्यक है। 1 नवंबर को कर्मकाल या प्रदोष व्यापिनी अमावस्या की प्राप्ति नहीं हो रही है, जिससे इस दिन लक्ष्मी पूजन का संपूर्ण फल नहीं मिल पाएगा।

नहीं पहुंचे संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षक

जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के आमंत्रित शिक्षक नहीं पहुंचे, जिससे यह आयोजन प्रभावित हुआ। प्रवक्ता शास्त्री कोसलेंद्रदास ने एक नवंबर को पर्व मनाने को शास्त्रसम्मत बताया, यह बताते हुए कि 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3:53 बजे से शुरू होकर अगले दिन 6:17 बजे तक रहेगी। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में उल्लेख है कि लक्ष्मी पूजन का मुख्य काल प्रदोष है, और जहां दो दिन पर्वकाल में तिथि हैं, वहां दूसरे दिन पर्व मनाया जाना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं. दिनेश शर्मा ने बताया कि इस बार दोनों दिन अमावस्या प्रदोष काल में है, इसलिए लक्ष्मी पूजा एक नवंबर को करनी चाहिए।

कब कहां दिवाली

-अयोध्या: राममंदिर में दिवाली 1 नवंबर को मनाई जाएगी।

-काशी: यहां सौर पक्षीय पंचांग के अनुसार 31 अक्टूबर को पर्व मनाया जाएगा।

-दिल्ली: सभी पंचांगों में दिवाली 1 नवंबर को है।
-राजस्थान: ज्यादातर पंचांगों में भी 1 नवंबर को दिवाली का पर्व बताया गया है।

-जयपुर: अन्य जयविनोदी पंचांग और सर्वेश्वर जयादित्य पंचांग में 31 अक्टूबर को दिवाली का पर्व है।

धर्मसिंधु ग्रंथ का महत्व

बंशीधर पंचाग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार व्रत और पर्व के निर्णय के लिए धर्मसिंधु ग्रंथ को निर्णायक माना जाता है, जो सालभर के पर्वों का निर्धारण करता है। दीपावली पर्व के लिए प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को निर्णायक माना गया है। इस बार अमावस्या सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद 24 मिनट तक रहेगी, जिससे पर्व मनाना शास्त्रोक्त है। जयपुर में अमावस्या सूर्योदय से सूर्यास्त के बाद 37 मिनट तक रहेगी, इसलिए 1 नवंबर को पर्व मनाना सही है।

पंचागकर्ताओं की अनुपस्थिति

ज्योतिष सम्राट् पंचाग ​निर्माता डॉ. रवि शर्मा के अनुसार एक संस्था की ओर से आयोजित धर्मसभा में पंचागकर्ताओं को निमंत्रण नहीं दिया गया और उनका पक्ष भी नहीं सुना गया। भारत के 90 प्रतिशत पंचांगों ने एक नवंबर को दीपावली का निर्णय पहले ही दे दिया था। ऐसे में इस एकतरफा बैठक का औचित्य क्या है?

ज्यादातर व्यापारी एक नवंबर के पक्ष में

जयपुर व्यापार मंडल अध्यक्ष सुभाष गोयल के अनुसार व्यापारियों ने 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन दिवाली मनाने का निर्णय लिया है, लेकिन ज्यादातर व्यापारी 1 नवंबर के पक्ष में हैं। व्यापार को लेकर दोनों दिन उत्साह है, और बाजार में विशेष रोशनी के साथ शहरवासियों को मिश्र के पिरामिड़ की झलक देखने को मिलेगी।

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