दागी बना रहे दाग से बचाने का कानून
– 30 विधायक व 8 सांसदों के खिलाफ दर्ज हैं 57 मुकदमे
— कमेटी की आड़ में गुपचुप होती है मुकदमों की वापसी
जयपुर। प्रदेश में केन्द्र और राज्य सरकार के मंत्रियों सहित 30 विधायक और 8 सांसदों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक मामलों में 57 मुकदमे चल रहे हैं। मौजूदा सरकार के 33 माह के कार्यकाल में सांसद—विधायकों से बड़ा मुकदमा वापस लेने की जानकारी तो नहीं आई है, लेेकिन वर्तमान सरकार के पहले साल (2019) में 15 मुकदमे वापस लिए गए।
सरकार ने विवाद से बचने के लिए मंत्री स्तर पर मुकदमे वापसी की व्यवस्था रोककर इस कार्य के लिए गृह सचिव सहित 3 अधिकारियों की कमेटी बना दी है। इसमें अभियोजन निदेशक व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) को भी शामिल किया है। इस कमेटी के निर्णय आसानी से सामने नहीं आते, इसलिए सरकार विवादों में घिरने से बची रहती है। उधर, प्रदेश में मंत्री, विधायक एवं सांसदों से जुड़े मामलों का अनुसंधान तो सीआइडी सीबी को सौंपा जाता है, लेकिन इन मामलों की सुनवाई के लिए दूसरे राज्यों की तरह विशेष न्यायालय नहीं है। सरकार की ओर से इसके लिए सांसद—विधायकों के खिलाफ 65 से कम मुकदमे होने का तर्क दिया जाता है।
7 साल में वापस लिए 650 मुकदमे
अभियोजन निदेशालय की ओर से पेश रिपोर्ट में विधानसभा को दी गई जानकारी के अनुसार 2008 से 2015 तक राज्य सरकार के स्तर पर करीब 650 मुकदमे वापस लिए गए, जिनमें गुर्जर आंदोलन से संबंधित मामले भी शामिल हैं।
2 साल में 32 की वापसी
राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के शासनकाल के अंतिम वर्ष (2018) में सरकार के स्तर पर 18 और वर्तमान सरकार के शासन के पहले साल (2019) में 14 मुकदमे वापस लिए गए।
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