पहले पत्र में लिखा – गणेशजी मेरे भाई, तो मैं हुई आपकी बेटी
एक बालिका ने लिखा कि महादेव, सुना है आप सबकी इच्छा पूरी करते हो, आपको तो पता ही होगा ना मैं गणेशजी को भाई मानती हूं। गणेश आपके बेटे हैं तो में आपकी बेटी हुई। आज जीवन में पहली बार आपके मंदिर तक पैदल चलकर आ रही हूं। मैं बहुत परेशान हूं, मेरे पिताजी को मेरे ऊपर विश्वास नहीं है। मैंने उनसे कहा कि मुझे कॉचिंग करनी, उन्होंने साफ मना कर दिया, कहा कि कौनसा पढ़कर सरकारी जॉब लग जाएगी। मैं बहुत परेशान हूं। मैं बोर्ड परीक्षा में 85 प्रतिशत अधिक अंक प्राप्त कर अव्वल रही। इस बार 12 वीं में 99 प्रतिशत बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही हूं। महादेव में मेहनत कर आरएएस बनना चाहती हूं। मेरे पिताजी परेशान हैं क्यों की उनके चार पुत्रियां होने से वह इतना सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। मुझे हिम्मत दो ताकि मैं आपके आशीर्वाद से इस मुकाम को हासिल कर सकूं।
अंत में लिखा, कि महादेव आपको जो चिट्टी लिख रही हूं। इस चिट्टी को पढऩे वाला आपके समक्ष खड़ा होकर पढ़े। महादेव इस वर्ष फसल की अच्छी पैदावार करना, ताकि पिताजी का सारा कर्ज चूक जाए, जय महादेव।
दूसरा पत्र लिखा – महादेव मैं कैंसर बीमारी से ग्रस्त
दूसरे पत्र में लिखा कि महादेव आप कलयुग में शिवयुग लेकर आए हो। आपकी लीला का कोई पार नहीं। आप मेरे परिवार में उन्नति के साथ खुशहाली लाओ। साथ ही एक अन्य पत्र में लिखा कि महादेव मैं कैंसर जैसी कठिन बीमारी से ग्रस्त हूं, आपके भरोसे चल रहा हूं। कृपा करो महादेव। मैं जीवन भर आपकी सेवा करूंगा। मुझे स्वस्थ निरोगी जीवन प्रदान कर खुशहाली लाने का काम करो। ऐसे कई पत्रों में लोगों ने अपनी प्रार्थना पूरी करने के लिए महादेव को पत्र लिखकर दानपात्र में डाले। समिति के प्रवक्ता ने महादेव के समक्ष बैठकर सारे पत्रों को पढ़ा और महादेव के सामने अर्जी लगाई।
11 दिन में निकले 1 लाख से ज्यादा रुपए
विकास समिति ने राजस्व हल्का पटवारी प्रमोद मीणा की उपस्थिति में दानपात्र खोला। सचिव रामचंद्र मीणा ने बताया कि सावन मास में 11 दिन बाद फिर खुले दानपात्र में करीब 1 लाख दो हजार छह सौ साठ रुपए नकद राशि निकाली।