यों तो किस्सा बन जाएगा केसीसी -सबसे पहले उवर्रक कारखाना बंद किया गया। यहां सिंगल सुपर फास्फेट व ट्रिपल सुपर फास्फेट उर्वरक बनाया जाता था। -दिसम्बर 2008 को एक साथ रिफाइनरी, स्मेल्टर व दोनों एसिड प्लांट बंद कर दिए गए। हमारी रिफाइनरी की क्षमता हर वर्ष 31 हजार टन शुद्ध तांबे का उत्पादन करने की थी। हर वर्ष करोड़ों रुपए की आय होती थी।
-वर्तमान में केवल कंस्ट्रेटर प्लांट ही चल रहा है। एसिड व उर्वरक प्लांट के अधिकांश हिस्सों को बेच दिया गया है। जबकि रिफाइनरी व स्मेल्टर प्लांट काम नहीं आने से खुद कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं।
– केसीसी में वर्ष 1975 में उत्पादन शुरू हुआ तब नई तकनीक काम में ली गई थी। इसमें समय के साथ बदलाव नहीं किया गया। दूसरी इकाइयों में नई तकनीक काम में ली गई। हमारे संयंत्र को पहले कबाड़ बनाया गया, फिर मशीनरी कबाड़ के भाव बेच दी गई।
-बिडदूराम सैनी, रिटायर्ड खदान सुपरवाइजर