दहीपलाश नाम के इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम कार्डिया मेकलियोडी है। एंटी एलरगेसिक, एंटी वेनम, एंटी आक्सीडेंट व एंटी माइक्रो बैक्टिरियल गुणों से भरपूर इसके पेड़ की पत्तियां, छाल, जड़ का उपयोग कई तरह की बीमारियों में बेहद कारगर है।
इस संजीवनी पर भी मंडरा रहा संकट
रक्त का बहाव रोकने, चोट को भरने, सर्पदंश, माइग्रेन, मिग्री, सुरक्षित प्रसव करवाने व नशा को उतारने उपयोग किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर दहमन के पेड़ का अस्तित्व संकट में है। जानकारी के अभाव में इसके पेड़ पर लगातार कुल्हाड़ी चल रही है। अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिकों ने इसकी प्रजाति के संकट में होने पर अलर्ट जारी किया है। उनका कहना है कि इसके प्रगुणन करने के प्रयास जारी है पर सफलता नहीं मिल पाई है। दहमन के अनुसंधान में शामिल डा. सुशील दत्ता ने बताया कि माचकोट में इसका पाया जाना बेहद आश्चर्य जनक है। ऐसे पौधों को बचाना जरुरी है।
बायोसाइंस के प्रोफेसर डा. एमएल नायक ने बताया कि हाल ही में माचकोट रेंज के फारेस्ट में दौरा के दौरान यकायक अनुसंधान करने वाले दल को दहमन के पेड़ मिला। आरंभिक तौर पर पता चला है कि इसमें एंटी एलरगेसिक, एंटी वेनम, एंटी आक्सीडेंट व एंटी माइक्रो बैक्टिरियल गुण हैँ। इसके प्रगुणन का प्रयास भी जारी है। इस प्रजाति पर संकट इसे बचाना होगा।