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सब्जियों की आवक कम होने से दाम लगातार बढ़ रहे हैं। पहले से महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए सब्जियों की बढ़ती कीमतें एक नया बोझ बन गई हैं। मौसम की मार के चलते पिछले दो महीनों से सब्जियों की पैदावार में कमी आई है, जिसके कारण सब्जियों के दाम दो से तीन गुना बढ़ गए ह
बाजार में ग्राहक तो दिखाई दे रहे हैं, लेकिन वे खरीदारी में सतर्कता बरत रहे हैं। अब लोग एक किलो के बजाय पाव में सब्जी खरीदने पर मजबूर हैं। इसके अलावा, जब कोई
व्यापारी सब्जी लाता है, तो उसे मनमाने दामों में बेचता है। इधर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बाजार जाना मुश्किल हो गया है। बाजार में अब वही लोग झोला लेकर नजर आते हैं, जिनकी जेबें भरी होती हैं। आम लोगों के लिए घर चलाना कठिन हो गया है, खासकर त्योहारी सीजन में बढ़ती कीमतों के कारण।
थोक बाजार में भी आसमान छूते दाम
सुकमा जिले में थोक विक्रेताओं की एकल बाजार प्रणाली के कारण हरी सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं क्योंकि थोक विक्रेताओं की मनमानी कीमतें चिल्लर व्यापारियों पर भी भारी पड़ रही हैं। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि थोक में ही दाम महंगे मिल रहे हैं और सुकमा जैसे क्षेत्र में थोक विक्रेताओं की संया सीमित है। इससे दामों में वृद्धि हो रही है, जबकि इस पर किसी भी जिमेदार विभाग द्वारा निगरानी नहीं रखी जा रही है।
रसोई का बिगड़ा बजट
सब्जी के दाम (प्रति किग्रा.) फूल गोभी 120 रुपए टमाटर 100 रुपए पत्तागोभी 60 रुपए बरबट्टी 80 रुपए गवारफल्ली 60 रुपए बैगन 80 रुपए करेला 60 रुपए भिंडी 80 रुपए लौकी 40 रुपए आलू 50 रुपए प्याज 60 रुपए लहसुन 400 रुपए अदरक 100 रूपये करेला 60 रुपए गाजर 60 रुपए
सेमी 120 रुपए