कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में बहने वाले कांगेर नाला 15 किमी दूर कोलेंग के नजदीक शबरी नदी में समाहित हो जाता है। जबकि शबरी नदी यहां से 130 किमी दूर गोदावरी नदी में मिलती है। चूंकि गोदावरी आगे बढ़ते हुए समुद्र में मिल जाती है। वन्य प्राणी एक्सपर्ट व क्रो फाउंडेशन के रवि नायडू के मुताबिक बारिश के दिनों में जब नदियों में बहाव चरम पर होता है तभी यह मगरमच्छ पानी के साथ तैरते हुए कांगेर वैली में पहुंचते है। कांगेर घाटी में दर्जनों स्पॉट ऐसे हैँ जहां इन मगरमच्छों को आसानी से देखा जा सकता है।
पार्क में वन्य जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए काम करने वाले रवि नायडू ने बताया कि यहाँ मिलने वाला मगरमच्छ एस्टूएराइन क्रोकोडाइल है। इसका वैज्ञानिक नाम क्रोकोडीलस पोरोसस है । इस प्रजाति के एक वयस्क मगरमच्छ की लंबाई 13 से 18 फीट तथा इसका वजन एक ह•ाार किलो से अधिक होता है। यह उत्तरी आस्ट्रेलिया, भारत के पूर्वी तट और पूर्वी एशिया में पाया जाता है। इस प्रजाति के मगरमच्छ का कांगेर वैली में मिलना बड़ी बात है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑ$फ नेचर ने इसे संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची की एलसी श्रेणी में रखा है।