गढ़चिरौली पुलिस ने पहली बार यहां पहुंचकर एक दिन में ही पुलिस कैम्प खोल दिया। ग्रामीणों की मानें तो पुलिस को यहां पहुंचने में 75 साल लग गए। यह इलाका अबुझमाड़ की सीमा से महज पांच किमी की दूरी पर है, तथा अबुझमाड़ को नक्सलियों का हेडक्वार्टर माना जाता है। नक्सलियों के सभी टॉप लीडर यहीं से संगठन चलाते हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नक्सलियों ने यहां जमकर उत्पात मचाया था।
600 सी-कमांडो और 500 विशेष पुलिस अधिकारी थे काफिले में गढ़चिरौली के एसपी नीलोत्पल नें बताया कि इस पुलिस चौकी की स्थापना के लिए पुलिस को गट्टा थाने से गर्देवाड़ा तक करीब 60 किमी पैदल चलना पड़ा। यह पूरा इलाका धुर नक्सल क्षेत्र होने के कारण काफिले में करीब 600 की संख्या में सी-60 कमांडो तथा 500 विशेष पुलिस अधिकारी भी साथ गए थे। इस दौरान वे लैंडमाइंस और झाड़ियों में नक्सलियों के एम्बुश पर भी नजर रखे हुए थे। शेष @ पेज 8
600 सी-कमांडो… इस दुर्गम इलाके में जाकर पुलिस चौकी स्थापित करना काफी कठिन काम था। यही नहीं वहां पहुंचकर 1500 लोगों को काम पर लगाया गया और तेजी से काम करते हुए एक ही दिन में ही पक्का कैम्प परिसर बना दिया गया। यहां पुलिसकर्मियों के रहने के लिए भी पर्याप्त सुविधाएं और मजबूत सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। आसपास के इलाकों में दस 4 जी टावर लगाए जा रहे हैं। जवानों के लिए पोटा केबिन, एक आरओ प्लांट, टॉयलेट ब्लॉक, वाईफाई, जनरेटर सेट आदि भी उपलब्ध कराए गए हैं।
लाल आतंक को उनके घर में घेरने की कवायद
नए कैम्प की स्थापना से अबुझमाड़ में नक्सलियों की घेराबंदी को मजबूती मिलेगी। पुलिस को अंतरराज्यीय ऑपरेशन पूरा करने में मदद मिलेगी। 750 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला पुलिस का निगरानी तंत्र और भी मजबूत होगा।
नक्सली दहशत के कारण विकास के कई काम ठप पडे़ हैं उनमें गति आएगी। छत्तीसगढ़ को महाराष्ट्र से जोड़ने के लिए मंजूर गट्टा-गर्देवाड़ा- तोडगट्टा-वांगेतुरी-पनावर अंतरराज्यीय सड़क के अब जल्द पूरा होने की उम्मीद।
अबुझमाड़ में नक्सलियों के खिलाफ फोर्स नई रणनीति के तहत काम कर रही है महाराष्ट्र में भी नए कैंप खोले जा रहे है सभी सीमावर्ती जिलों की पुलिस ने दबाव बनाया हुआ है। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज किए जाएंगे।
– सुंदरराज पी, आईजी, बस्तर रेंज