विधानसभा में गांव में ही डाला था वोट बस्तर के कलेपाल में साल 2023 में जब पहली बार चुनाव के लिए बूथ बनाए गए तो यहां के आदिवासी काफी खुश हुए। खुशी इस बात की थी कि उन्हें वोट डालने जंगल पहाड़ का लगभग 35 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता तय नहीं करना पड़ा। लेकिन बस्तर लोकसभा चुनाव में प्रशासन ने एक बार उनके माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
तीन जिलों का सरहदी इलाका है कलेपाल कलेपाल गांव बस्तर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिले के सरहदी इलाके में बसा हुआ गांव है। लंबे समय तक यह नक्सल दहशत के बीच रहा। यही वजह रही की यहां मतदान के लिए बूथ को शिफ्ट कर दिया जाता है। अब एक बार फिर 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं लेकिन इस बार कलेपाल का मतदान प्रतिशत कम हो सकता है।
बिसपुर में बनाया गया मतदान केंद्र, कम से कम 20 किमी चलना होगा प्रशासन ने लोकसभा चुनाव के लिए बिसपुर में मतदान केंद्र बनाया है। जो गांव से 30 से 35 किलोमीटर दूर हैं। पहले भी लोगों को इसी केंद्र तक आना पड़ता था जिसके चलते वोट प्रतिशत बेहद कम रहता था। कलेपाल के लोगों को लोकसभा चुनाव के लिए भी कलेपाल में ही वोटिंग को लेकर उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गांव वाले बताते हैं कि जंगल के रास्ते शॉर्ट कट जाएंगे तो 20 किलोमीटर की दूरी है। मुख्य सडक़ से जाने पर 35 किलोमीटर का सफर लोगों को तय करना पड़ेगा। 2023 के विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक वोट पड़े थे।
फैक्ट फाइल
कुल मतदाता- 416
बूथ जहां वोट डालने जाना है – बिसपुर
बिसपुर से कलेपाल की दूरी – सडक़ मार्ग से 30 और पहाड़ी मार्ग से 20 किमी बूथ शिफ्ट करने से मतदाताओं में नाराजगी
विधानसभा चुनाव के बाद कलेपाल गांव के लोग गांव में ही मतदान को लेकर काफी उत्साहित थे। लेकिन बूथ शिफ्टिंग की खबर के बाद वे काफी नाराज नजर आए। उनका कहना है कि जब विधानसभा में शांतिपूर्ण तरीके से उनके यहां चुनाव हो सकते हैं तो लोकसभा में बूथ शिफ्ट करने की क्या जरूरत थी। खैर गांव वालों का कहना है कि वे मतदान करने जरूर जाएंगे क्योंकि वे गांव का विकास चाहते हैं। धीरे-धीरे ही सहीं गांव में रोड बन गया है। बिजली का काम चल रहा है। नलजल का भी काम चल रहा है। मोबाइल के लिए टावर भी लग गए हैं। गांव में काम हो रहा है। स्पताल, राशन, दुकान के साथ ही आश्रम की मांग की गई है। इसलिए वे अपने मताधिकार का प्रयोग करने जरूर जाएंगे।