इसलिए तैयार किया गया एक्शन प्लान
सीएमएचओ आरके चतुर्वेदी ने बताया कि दुर्गम इलाकों से लोग अपने इलाज के लिए मुख्यालय तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते जरा सी समस्या भी काफी विकराल रूप धारण कर लेती है। यही वजह है कि इलाके के लोग जब अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो अस्पताल को गांव तक पहुंचाने की सोची। उन्होंने कहा कि सामान्यत: होने वाली बीमारी से लेकर अन्य बड़ी बीमारियों तक की जांच के संसाधन लेकर स्वास्थ्य अमला गांव-गांव पहुंच रहा है। उन्होंने बताया अब शिविर प्लान से गांवों में बीमारियों के खात्मा का प्लान पूरा करने का समय आ चुका है।
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65 परिवारों का जांच किया गया
शिविर प्लान के तहत हाल ही में नक्सल प्रभावित पिच्चीकोडेर और हर्राकोडेर इलाके में शिविर लगाया जा रहा है। अब तक यहां 65 परिवारों की जांच की जा चुकी है इसमें 3 लोगों में मलेरियां की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अब इन मरीजों को आब्जरवेशन में रखकर इनका इलाज किया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि इसमें किसी की भी स्थिति गंभीर नहीं थी। सभी को उनके घर में रहकर इलाज किया जा रहा है। आवश्यक दवाएं दे दी गईं है। अब एक हफ्तेबाद फिर से इन मरीजों का फालोअप लिया जाएगा।
अंदरूनी इलाकों के लोगों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सके इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अभियान के तहत शिविर प्लान तैयार किया है। इसके साथ ही वे ऐसी रिपोर्ट भी तैयार कर रहे हैं जिसमें किस मौसम में कौन सी बीमारी किस इलाके में ज्यादा निकलती है। इसके आाधार पर ही इलाकों में ऐसी बीमारियों की विशेष तौर पर शिविर लगाई जाएगी। जिससे की ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह शिविर लगातार जारी रहेगा।