सैंकड़ों आदिवासी फ्लोरोसिस की वजह से विकलांग हो गए
सांसद बैज ने कहा कि फ्लोराइड बस्तर में सबसे गंभीर समस्या बन गई है। यहां के आदिवासी फ्लोराइड का धीमा जहर पी रहे हैं। जिले के बस्तर ब्लॉक में बाकेल बसुली और बकावंड ब्लॉक के गारेंगा, छिंदगांव, सतोषा, बड़े जीराखाल जैसे करीब १५ से २० गांव फ्लोराइड की जद में है। इन गांवों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से ग्रामीणों के दांत काले-पीले, तो हड्डियां टेढ़े-मेढ़े हो गए है। सैंकड़ों आदिवासी फ्लोरोसिस की वजह से विकलांग हो गए है। केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और जल्द ही फ्लोराइड प्रभावित गांवों में शुद्धपेय जल की व्यवस्था की जाए।
फ्लोराइड प्रभावित गांवों में टैंकर से पेयजल सप्लाई
बस्तर जिले के फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों के बोर और हैंडपंप हटाया जाएगा। वहीं इन गांवों में अब टैंकर से शुद्ध पेयजल की सप्लाई की जाएगी। मंगलवार को कलेक्टर डॉ. अय्याज तंबोली ने समय-सीमा की बैठक में जिम्मेदार अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिए। फ्लोराइड की समस्या को लेकर पत्रिका द्वारा लगातार प्रकाशित करने के बाद जिला प्रशासन नींद से जागा है।
सांसद अधिकारियों की लेंगे क्लास
सांसद दीपक बैज ने कहा कि वे दिल्ली से लौटकर फ्लोराइड की समस्या को लेकर अधिकारियों की बैठक लेंगे। वहीं फ्लोराइड प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल को लेकर अब तक जिला प्रशासन ने क्या पहल किया है इस पर अधिकारियों की क्लास भी लेंगे। वहीं बस्तर में फ्लोराइड की स्थाई समाधान को अधिकारियों के साथ चर्चा भी करेंगे।
पूर्व सांसद का क्षेत्र फ्लोराइड की जद में
सांसद ने कहा कि पूर्व सांसद का क्षेत्र ही सबसे ज्यादा फ्लोराइड के जद में हैं। बावजूद आज तक इस गंभीर समस्या को केंद्र सरकार तक नहीं पहुंचाया गया। बस्तर की जनता ने भरोसे के साथ मुझे सांसद पद के लिए चुना है। अब बस्तर के लोगों का भरोसा नहीं टुटने देंगे। जब तक फ्लोराइड की समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो जाता तब तक पीछे नहीं हटेंगे।