वहीं सुबह से बारिश के झड़ी के बीच बोरगांव शिवालय, भैड़म मोड़ शिव मंदिर, फरसगांव के शिव मंदिरों सहित क्षेत्र के सभी शिवालयों में दिनभर भक्तों का आना जाना लगा रहा। सुबह से ही बड़ी संख्या में महिलाएं और भक्तगण फूल, दूध, बेलपत्र आदि लेकर मंदिर पहुंचने लगे जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग व युवा भी शामिल थे। शिवालयों में भगवान शिव का दूध, जल आदि से अभिषेक किया गया। इस दौरान ओम नमः शिवाय के जयकारे से शिवालय गूंजते रहे। भक्तों ने भोले बाबा के दर्शन कर आर्शीवाद का लाभ लिया।
बता दें कि सावन में पूरे महीने भर क्षेत्र में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना होती है। सोमवार को पूजा का विशेष महत्व है। जिसके चलते सावन के पहले सोमवार को सुबह से ही भगवान शिव के दर्शन व पूजन के लिए शिवालयों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।
सावन का पहला सोमवार आज यानी 18 जुलाई को था। हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण कृष्ण पक्ष तृतीया और सावन का पहला सोमवार है। हिंदू धर्म में सावन मास के साथ ही इसके सोमवार का भी विशेष महत्व होता है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सावन शुरू होते ही मंदिर व शिवालयों में हर-हर महादेव का उद्घोष उठने लगा। सावन के पहले दिन सोमवार को रुद्राभिषेक व जलाभिषेक किया गया।
सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में रही भीड़ केशकाल । केेेशकाल के शिवालियों के बाहर भक्ति की ऐसी बयार बही, जिसमें हिचकोले मारते मस्त-मगन भोले भक्त थके नहीं। बाबा के दर्शन और उनके स्पर्श मात्र के लिए प्रमुख शिवालयों के बाहर सुबह से से ही लाइन लगने लगी। बम-बम भोले के जयकारों से शिवालय गूंजते रहे। हर्रा् पढ़ाव के हरेश्वर शिव मंदिर एवं पुलिस वाली चाची के शिव मंदिर में व नगर केेे हृदय स्थल में स्थित शिव मंदिर, और लोगो के आस्था का केंद्र बने गोबरहीन के शिवालयों में भगवान शंकर के आशीर्वाद केे लिए भीड़ उमड़ी..। हर्रापड़ाव के शिव मंदिर में महिला संगठनों के द्वारा रामायण पाठ का आयोजन करते हुए भगवान शंकर की आराधना की गई।