मान्यता है कि अगर आप जेल की रोटी का एक टुकड़ा भी खाने को पा जाते हैं कि तो भविष्य में जेल जाने से बच सकते हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित और जगदलपुर जेल में पदस्थ हवलदार अब्दुल जाहिद खान ने पत्रिका से इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आम और खास दोनों तरह के लोग जेल स्टाफ से रोटी के फरमाइश करते हैं।
हर दम रहते हैं चौकस सेंट्रल जेल में हवलदार अब्दुल ने बताया, जेल के पुरुष व महिला स्टाफ को 24 घंटे सजग रहना होता हे, इसके लिए रिहर्सल होती रहती हैं। सायरन बजते ही सभी जेल पहुंच जाते हैं। स्थिति सामान्य होने की जानकारी देकर रूटीन काम में जुट जाते हैं। अपराधियों से दिन-रात पाला पड़ता है तो उन्हें समझाते हैं, ऐसा कोई काम दोबारा न करो कि खुद के साथ परिवार को दुख सहना पड़े। अवॉर्ड के बारे में पूछने पर बताया, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने रायपुर में उन्हें अवार्ड देकर सम्मानित किया था।
15 अगस्त और 26 जनवरी को रहती है ज्यादा मांग राष्ट्रीय पर्व या कुछ सामाजिक- धार्मिक आयोजन के दिनों में कुछ कार्यक्रम होने पर जेल में मुलाकातियों के अलावा जब जन सामान्य की भी इंट्री होती है तो वे स्वल्पाहार तो लेते ही हैं। इसके अलावा जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों से आग्रह करते हैं कि उन्हें जेल की रोटी या उसका कोई टुकड़ा ही तोड़कर खाने दे दीजिए। अब्दुल ने सामान्य चर्चा में बताया कि जेल में सुधारात्मक कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें बंदी-कैदियों के लिए योगासन, भाषण, विशिष्ट व्यक्तियों का आगमन कभी कभार जेल में होता है। अतिथियों के सत्कार में अक्सर यह बातें आम हैं वे आग्रह करते है कि उन्हें किसी तरह जेल की रोटी तोड़नी है। पूछने पर वे कहते है कि इससे भाग्य का लिखा मिट जाता है।