रेलवे के मुताबिक कोत्तावालसा से कोरापुट के बीच 43 तो कोरापुट से जैपोर के बीच 6 सुरंगे यानी टनल प्रस्तावित है। इस पर कई जगह काम भी शुरू हो गया है। गौरतलब है कि इस परियोजना के अब तक 60 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। हाल ही में श्रंगवरापुकोटा और बोड्डावरा स्टेशनों के बीच 7.3 किमी का एक हिस्सा पूरा हो गया है और माल और यात्री यातायात दोनों के लिए कल चालू कर दिया गया है।
डीआरएम सौरभ प्रसाद का कहना है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा परियोजना कार्यों की लगातार समीक्षा के कारण संभव हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव उत्तरी एपी, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के दूरस्थ क्षेत्र में चल रहे विभिन्न परियोजना कार्यों के साथ-साथ क्षेत्र के रेलवे बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं और नियमित रूप से विकास कार्यों की निगरानी भी कर रहे हैं। केके लाइन में दोहरीकरण कार्य क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और महत्वपूर्ण पूर्वी घाट क्षेत्र में परेशानी मुक्त ट्रेन संचालन प्रदान करेगा।
बस्तर में 85 प्रतिशत काम पूरा
किरंदुल-कोत्तावालसा रेललाइन दोहरीकरण परियोजना पर काम बस्तर में भी तेजी से चल रहा है। इसके अंतर्गत अब तक ओडिशा के जैपुर से दंतेवाड़ा के किरंदुल तक 220 किलोमीटर के हिस्से में से करीब 180 किलोमीटर लाइन का दोहरीकरण कार्य पूरा हो चुका है। अब जो 40 किमी की लाइन है वह सबसे चुनौतीपूर्ण है। नक्सलियों की हरकतो की वजह से यहां काम कछुएं की गति से आगे बढ़ रहा है। रेलवे का कहना है कि यहां का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
लौह अयस्क परिवहन मार्ग है केके लाइन
केके लाइन (445.5 किलोमीटर) परियोजना में दोहरीकरण कार्य 2011-12 में शामिल किया गया था और अंतिम स्वीकृति 2015-16 में दी गई थी। श्रंगवारापुकोटा और बोड्डावरा स्टेशनों के बीच 7.3 किलोमीटर के हिस्से का काम पूरा हो गया और पूर्वी घाट में 60 में से 1 ढलान के साथ कल चालू हो गया। यह महत्वपूर्ण लौह अयस्क मार्ग में एक महत्वपूर्ण कठिन ब्लॉक खंड है।