CG Naxal: शहरी नेटवर्क टूटा, अब नक्सली देसी फॉर्मूले से बना रहे जंगल में हथियार
CG Naxal: बस्तर में नक्सली फोर्स से लड़ने के लिए देसी बंदूक,आईईडी और बीजीएल तो बना रहे हैं लेकिन अब नक्सली देसी कारतूस भी बनाने लगे हैं। इन करतूतों में नक्सली लोहे का उपयोग कर रहे हैं।
CG Naxal:बस्तर में नक्सली फोर्स से लड़ने के लिए देसी बंदूक,आईईडी और बीजीएल तो बना रहे हैं लेकिन अब नक्सली देसी कारतूस भी बनाने लगे हैं। इन करतूतों में नक्सली लोहे का उपयोग कर रहे हैं।
बता दें कि अबूझमाड़ के वाड्डेकाल में 7 जून को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में पुलिस ने घटनास्थल में ऐसे कई देसी कारतूस बरामद किए है। इस बरामदगी ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि अब तक यह माना जा रहा था कि फोर्स ने नक्सलियों की सप्लाई लाइन काट दी है। इस कारण नक्सलियों के पास अब एम्युनिशन की कमी हो गई है। इसलिए वे अब ज्यादा फायरिंग नहीं कर रहे है। लेकिन यदि वे अच्छी क्वालिटी के कारतूस बनाने में सफल हो जाते हैं तो वे जवानों से लंबे समय तक लड़ सकते हैं और इससे बस्तर में शीघ्र शांति स्थापना की कोशिशों को झटका लग सकता है।
CG Naxal: पीतल नहीं मिला तो स्टील का उपयोग कर रहे…
जानकारों के मुताबिक अलग अलग हथियारों के लिए अलग अलग गोलियों की जरूरत होती है । आमतौर पर इन गोलियों के बनाने के लिए पीतल का उपयोग किया जाता है लेकिन जंगल में पीतल का इंतजाम नहीं है इसलिए नक्सली एक खास आकार के लोहे का उपयोग कर रहे है। हालाकि कारतूस के जो कवर बरामद हुए है उनसे इनकी मारक क्षमता को लेकर सवालिया निशान लग रहे है।
CG Naxal: हर दिन हो रही मुठभेड़
इन दिनों बस्तर में फोर्स और नक्सलियों के बीच लगभग हर दिन मुठभेड़ हो रही है ऐसे नक्सलियों के पास एम्युनेशंस की काफी कमी है। बस्तर के जंगलों तक हथियारों की निर्बाध सप्लाई वाली चेन तो पुलिस ने तोड़ दी है लेकिन अब नक्सली इस नई चुनौती से कैसे निपटेंगे। इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। छद्म युद्ध में माहिर लाल लड़ाके अगर आर्म्स-एम्युनेशंस के मामले में आत्मनिर्भर हो गए तो वे फिर से इलाके में अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश कर सकते है। बस्तर में पदस्थ पुलिस अफसर इन बातों को महसूस कर रहे है।
पुलिस ने बस्तर में नक्सलियों की सप्लाई चेन को लगभग ध्वस्त कर दिया है। नक्सली आर्म्स-एम्युनेशंस की कमी से जूझ रहे हैं। वे कुछ स्थानों पर बीजीएल,और कंट्रीमेड गन का भी उपयोग कर रहे हैं पर इसकी क्वाॅलिटी बेहतर नहीं है। अभी नक्सलियों द्वारा प्रयोग किए गए देशी कारतूस भी मिले हैं। इसकी बैलेस्टिक रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। रिपोर्ट आने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।