लेकिन यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने जबलपुर के स्वयं प्रभा पैरामेडिकल कॉलेज के संचालक पप्पू कुमार को पैरामेडिकल विभाग को को-ऑर्डिनेटर बनाने का निर्णय ले लिया। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि पप्पू कुमार के कॉलेज के छात्र-छात्राएं भी यहीं से परीक्षा दे रहे हैं। ऐसे में उनके को-ऑर्डिनेटर पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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हो सकती है हेराफेरी
जानकार सूत्रों की मानें तो इस नियुक्ति के पीछे अन्य निजी पैरामेडिकल कॉलेज की लॉबी का भी हाथ है। यह लॉबी पैरामेडिकल परीक्षा से लेकर परिणाम भी अपने हिसाब से तय करना चाह रही है। कॉपियों के कोड लिंक होने से नंबर में हेराफेरी आसानी से हो सकती है। मूल्यांकन के लिए कॉपियां किसको भेजना है, कहां भेजना है, यह भी पप्पू कुमार तय कर रहे हैं।
नि:शुल्क कार्य तो हर्ज क्या
यूनिवर्सिटी की ओर से जिन्हें ईमानदार समझा जाता है, उसे जिम्मेदारी दी जाती है। मूल्यांकन प्रणाली में स्वयंप्रभा पैरामेडिकल कॉलेज के संचालक पप्पू कुमार को को-आर्डीनेटर बनाया गया है। उन्हें कोई मानदेय नहीं दिया जा रहा है। वे तो सेवा कार्य कर रहे हैं।
– डॉ.पुष्पराज सिंह बघेल, परीक्षा नियंत्रक
हमारी निगरानी है
को-ऑर्डीनेटर बनाने में सरकारी प्राध्यापक को प्राथमिकता दी जाती है। उसके उपलब्ध नहीं होने पर निजी कॉलेज के संचालक को जिम्मेदारी दी गई है। अधिकारियों की निगरानी में उनसे कार्य लिया जा रहा है।
– डॉ.आरएस शर्मा, कुलपति, मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी