जबलपुर. पति पर बिना सहमति अप्राकृतिक कृत्य का आरोप लगाते हुए पत्नी द्वारा बलात्कार की दर्ज कराई गई एफआइआर को हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया। फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति का अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है क्योंकि वैवाहिक बलात्कार को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध के रूप में मान्यता नहीं दी गई है, और ऐसे मामलों में सहमति महत्वहीन हो जाती है।
यह मामला एक युवक की पत्नी ने 2022 में जबलपुर के एक थाने में दर्ज कराया था। एफआइआर रद्द करने के अनुरोध की याचिका पति ने दायर की थी। हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति-पत्नी के रिश्ते में बलात्कार के आरोपों के लिए जगह नहीं है। अननेचुरल सेक्स भी भले ही गैर सहमति से किया गया हो तब तक अपराध नहीं है, जब तक पत्नी 15 वर्ष से कम उम्र की नहीं हो।
नतीजतन, इस बारे में किसी और विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि इसका एकमात्र अपवाद आईपीसी की धारा 376बी होगी, जहां पत्नी के साथ यौन कृत्य बलात्कार होगा यदि यह कृत्य उस समय के दौरान किया गया हो जब वे न्यायिक अलगाव या किसी अन्य कारण से अलग रह रहे हों। इससे पहले हाई कोर्ट विधायक उमंग सिंगार पर पत्नी द्वारा दर्ज कराई इसी तरह की एफआइआर के मामले में भी ऐसा ही फैसला सुना चुकी है। जिसमें कहा गया था कि पति-पत्नी के रिश्ते में कोई चीज अननेचुरल नहीं होती है।
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