ऊष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान के फॉरेस्ट इकोलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज विभाग के वैज्ञानिकों ने पांच साल की रिसर्च के आधार पर आंकलन किया कि वन भूमि में लगने वाली आग से पौने छह टन तक कार्बन डाई-ऑक्साइड निकलती है। प्रति हेक्टेयर अधिकतम 73 हजार रुपए का नुकसान होता है।
प्रदेश के 15 वन मंडलों के 49 स्थानों पर शोध
यह शोध मध्यप्रदेश के 15 वन मंडलों के 49 ऐसे स्थानों पर किया गया, जहां आग लगी थी। संस्थान के फॉरेस्ट इकोलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज विभाग के वैज्ञानिक डॉ. धीरज गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2019 में मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर, सतना, सीधी, उत्तर बालाघाट, होशंगाबाद, हरदा, डिंडौरी, दक्षिण बालाघाट, दक्षिण बैतूल, दक्षिण छिंदवाड़ा, दक्षिण पन्ना, खंडवा, धार और बड़वाह समेत कान्हा नेशनल पार्क के कोर एरिया में अध्ययन शुरू किया गया। इस दौरान आग से प्रभावित वन भूमि और सामान्य भूमि का परीक्षण किया गया।
संसदीय स्थायी समिति के निर्देश के बाद हुआ अध्ययन
व र्ष 2016 में अप्रेल-जून के बीच उत्तराखंड के 2243 हेक्टेयर वनभूमि में लगी आग के बाद वन विभाग ने 46.2 लाख का नुकसान बताया। अन्य स्रोतों ने 5 करोड़ तक आकलन किया। संसद की स्थायी समिति में साफ हुआ कि देश में जंगलों की आग से होने वाले नुकसान के लिए मापदंड या आधारभूत आंकड़े तय नहीं हैं। समिति ने वन भूमि में आग से होने वाले नुकसान के आकलन के लिए अध्ययन करने के निर्देश दिए। देश के चार संस्थानों में शोध हो रहे हैं। जबलपुर स्थित टीएफआरआइ में आर्थिक पहलु की गणना पर शोध हुआ। वैज्ञानिक डॉ. धीरज गुप्ता ने बताया, शोध मप्र के 15 वन मंडलों में आग लगने वाले 49 स्थानों पर किया गया।