बुढ़ापे के सहारे को छीना
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले फांसी की सजा को बहाल रखते हुए हत्यारों पर बेहद कड़ी टिप्पणी भी की थी। मामले में हाईकोर्ट ने 10 अगस्त को कहा था कि अभियुक्त राजेश और राजा यादव में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इन्हें मौत की सजा दिए जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अदालत ने पाया था कि मृतक के माता-पिता के तीन बच्चे हैं। दो बेटियां और एक बेटा है। आरोपियों ने बेटे का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद मृतक के माता-पिता काफी भयभीत हैं बेटे का उनके जीवन से चला जाना उनके लिए असहनीय था। वह बेटा उनका भविष्य और उनके बुढ़ापे की लाठी था।
सीजेआई की अध्यक्षतावाली बंैंच ने की सुनवाई
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले में सुनवाई की। सुनवाई में आरोपी के वकील की दलील पर सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए उससे 12 हफ्ते में जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने मौत की सजा के अमल पर रोक लगा दी है साथ ही निचली अदालत से इस बारे में रिकॉर्ड तलब किया है ।