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जबलपुर

बारूदी सुरंगें भी कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं सैनिकों का, सुकमा में नक्सलियों ने उड़ाकर दी चुनौती

कठघरे में एमपीवी की क्षमता, दांव पर जवानों की सुरक्षा
 

जबलपुरMar 15, 2018 / 10:06 am

Lalit kostha

sukma attack latest news in hindi

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जबलपुर. बारूदी सुरंगों से निपटने के लिए बनाए गए सुरंगरोधी वाहनों (एमपीवी) की क्षमता फिर कठघरे में आ गई है। छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुई घटना के बाद सवाल उठने लगे हैं कि इसमें सैनिक कितने सुरक्षित हैं। इन सुरंगरोधी वाहनों का निर्माण आयुध निर्माणी बोर्ड के अंतर्गत वीकल फैक्ट्री जबलपुर और आयुध निर्माणी मेढक में होता है। रक्षा मंत्रालय लम्बे शोध और परीक्षण के बाद इन्हें उत्पादन प्रक्रिया में लाता है।

लेकिन, नक्सली इलाकों में ये उतने कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि दुर्घटनाग्रस्त एमपीवी वीएफजे में बना था या मेढक में। वीकल फैक्ट्री में बने एमपीवी का उपयोग नक्सली इलाकों में होता है। प्रारंभ में यह प्रोजेक्ट आयुध निर्माणी मेढक में चलता था। वर्ष २००७ से वीएफजे में एमपीवी का उत्पादन हो रहा है। सेना को सौंपने से पहले कई मानदंडों पर इसकी जांच की जाती है, लेकिन दुश्मन या नक्सली इसका तोड़ निकाल लेते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नक्सलियों ने ५० किलो से ज्यादा विस्फोट का इस्तेमाल किया। इसलिए रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग अत्याधुनिक माइन प्रोटेक्टिड वीकल को जल्द तैयार करने की बात कह रहे हैं।

खासियत-
वाहन की कीमत- सेना के लिए करीब १.१० करोड़,
अर्धसैनिक बलों के लिए ९० लाख से एक करोड़
७०० से ज्यादा वाहन बने- वीएफजे में अब तक ७०० से अधिक माइन प्रोटेक्टिड वीकल का निर्माण हुआ
टायर के नीचे १४ किलो और हल के नीचे १० किग्रा टीएनटी का विस्फोट सहन करने की क्षमता
हथियारों से लैस ८-१० सैनिकों की क्षमता

इनको होती है सप्लाई
सेना, अर्धसैनिक बल, छत्तीसगढ़, बिहार,
झारखंड, महाराष्ट्र और आईटीबीटी को

सुकमा में दुर्घटनाग्रस्त एमवीपी कहां बना है, इसकी पुख्ता जानकारी अभी नहीं है। जहां तक इसके मॉडीफिकेशन की बात है तो दो तरह से हो रहा है। एक, पहले के वाहन को मॉडीफाई किया जा रहा है। दूसरा, मॉडीफाइड माइन प्रोटेक्टिड वीकल है। इसका प्रोटोटाइप तैयार हो रहा है। हाईटेक प्रोडक्ट होने के कारण इसे तैयार करने में समय लग रहा है। कच्चे माल की आपूर्ति में भी समय लगता है।
– डीसी श्रीवास्तव, अपर महाप्रबंधक, वीएफजे

वीएफजे में बने एमपीवी पूरी तरह कारगर हैं। जितने टीएनटी की सहन शक्ति इसकी है, उस पैमाने पर इसमें बैठे सैनिकों को कोई नुकसान नहीं हो सकता। सुकमा में एमपीवी के नीचे ज्यादा मात्रा में टीएनटी इस्तेमाल किए जाने की जानकारी मिली है। इसमें किसी तरह की तकनीकी खामी नजर नहीं आई है। इसका मॉडीफिकेशन भी हो रहा है। नई डिजाइन होने के कारण इंजन भी शक्तिशाली लगाना पड़ेगा।
– टीटीएस कृपा वेंकटेशन, पूर्व वरिष्ठ महाप्रबंधक, वीएफजे

मॉडीफिकेशन का काम धीमा
रक्षा क्षेत्र में रोज नए हथियार बाजार में आ रहे हैं। एेसे में मौजूदा रक्षा सामग्री को समय-समय पर अपगे्रड करना जरूरी होता है। सेना की मांग के अनुसार वीएफजे में एमपीवी का मॉडीफिकेशन अब तक नहीं हो सका है। जानकारी के अनुसार सेना ने मौजूदा एमपीवी में सैनिकों की बैठक व्यवस्था, फायरिंग पोर्ट समेत ६ सुधार चाहे हैं। इसके अलावा अलग तरह से भी अपग्रेडेशन हो रहा है। वीकल फैक्ट्री मॉडीफाइड माइन प्रोटेक्टिड वीकल (एमपीवी) तैयार कर रही है। इसका एक प्रोटोटाइप तैयार किया जा रहा है। कुछ कलपुर्जों और रॉ मटैरियल नहीं होने से काम पूरा नहीं हो सका है। बताया जाता है कि इसकी क्षमता मौजूदा एमपीवी से अलग होंगी। यह ज्यादा विस्फोट सहन कर सकेगा।

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