State Cancer Institute : स्टेट कैंसर अस्पताल
125 मरीज आते हैं ओपीडी में100 के लगभग मरीज रहते हैं भर्ती
State Cancer Institute : लीनियर एक्सीलरेटर मशीन नहीं आई
कैंसर अस्पताल में मरीजों के ट्यूमर वाले हिस्से पर रेडिएशन देने के लिए 35 करोड़ की लीनियर एक्सीलरेटर मशीन लगना है। इसकी मदद से केवल कैंसर सेल को खत्म किया जा सकता है। इसके साथ ही इंस्टीट्यूट में 16 एडवांस मशीनें आना हैं। इनमें मरीजों की सिंकाई के लिए तीन लीनियर एक्सीलरेटर मशीन शामिल हैं। ये मशीन थैरेपी की मौजूदा कोबाल्ट मशीन से एडवांस है। इससे ज्यादा संख्या में मरीजों की थैरेपी होगी। रेडिएशन कम होने से मरीज के लिए ज्यादा सुरक्षित है।State Cancer Institute : फ्लो साइटोमेट्री मशीन
फ्लो साइटोमेट्री मशीन चिकित्सा उपकरण है जो कोशिकाओं के गुणों को मापने और विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मशीन कोशिकाओं के आकार, आकृति, और अन्य गुणों को मापती है। उनके आधार पर कोशिकाओं की पहचान और वर्गीकरण करती है। इसके माध्यम से रक्त कोशिकाओं की गणना, कैंसर कोशिकाओं की पहचान, इम्यून सिस्टम की जांच, संक्रमण की जांच, जेनेटिक विकारों की जांच होती है। इसमें लेजर, डिटेक्टर, कंप्यूटर होता है। ये मशीन 5 लाख से 50 लाख रुपये तक की आती है। ये बोनमेरो ट्रांसप्लांट यूनिट में स्थापित होना है।State Cancer Institute : अस्पताल का इंफ्रास्ट्रक्चर
● 1 मशीन है ओटी में दो दशक पुरानी● 1 कोबाल्ट मशीन हो गई कंडम, बंद पड़ी
● 40 से 50 मरीज की कीमोथेरेपी
● 70से 80 मरीज तक की हो पाती है सिंकाई
● 15 ऑपरेशन हो सकते हैं अभी दिन में
● 3 महीने तक का ऑपरेशन के लिए करना पड़ता है इंतजार
State Cancer Institute : मॉडयूलेटर ओटी का रूम तैयार, शुरू होने का है इंतजार
स्टेट कैंसर अस्पताल में अभी 100 मरीजों की रेडियोथैरेपी और कीमोथैरेपी होती है। जबकि ओपीडी में रोजाना 120 से 150 मरीज आते हैं। मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर में हेपा फिल्टर लगा होता है, जो बैक्टीरिया और वायरस को फिल्टर कर देता है। इस ओटी में एक कंट्रोल पैनल भी होता है, जो आर्द्रता के साथ अन्य सुविधाओं को कंट्रोल करता है। इसमें सभी उपकरण सेंसर लगाए जाते हैं, जिससे ऑपरेशन के पहले और बाद में किसी वस्तु को छूने से संक्रमण न फैले। मॉड्यूलर ओटी के सभी उपकरण डिजिटल और हाईटेक होते हैं। मुख्य ओटी में पहुंचने से पहले तीन चेम्बर होते हैं। ओटी में हर घंटे में 15-20 बार एयर बदलती है। अभी तक तक इसके केवल कमरे ही बने हैं।- डॉ.लक्ष्मी सिंगोतिया, डॉयरेक्टर, स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट अस्पताल