सीओआरएस नेटवर्क आधारित भूखंड सर्वेक्षण एक साथ पूरे प्रदेश में अपनाया जाएगा। अभी यह दूसरे राज्यों में उपयोग में लाया जा रहा है। कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार के साथ एग्रीमेंट की बात प्रदेश शासन की ओर से कही गई है। इससे जिलों को भी अवगत कराया गया है। इस तकनीक का फायदा जिले के उन आवेदनकर्ताओं में को मिलेगा जो महीनों तक सीमांकन का इंतजार करते हैं। मौजूदा समय में जिले में 10 से 12 टीएसमए मशीन हैं। मैनुअल सीमांकन को आमतौर पर अब लोग पसंद नहीं करते। यही नहीं पटवारी भी समय पर इसे नहीं करते। ऐसे में प्रकरण लंबित रहते हैं।
– 11 से अधिक टीएमएम मशीन – फरवरी तक 4299 प्रकरण दर्ज
– 3547 प्रकरणों का हुआ निराकरण – 752 से अधिक प्रकरण लंबित
4 हजार से ज्यादा आवेदन
जिलें में फरवरी तक सीमांकन के 4 हजार 299 से ज्यादा आवेदन आए। यह आवेदन तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अतिरिक्त तहसीलदारों की कोर्ट में लंबित है। बताया जाता है कि इनमें अभी 3 हजार 547 प्रकरण निराकृत हो सके हैं। जबकि 752 प्रकरण लंबित हैं।
सीमांकन के प्रकरणों की स्थिति
तहसील–कुल प्रकरण-लम्बित
अधारताल 12 05
रांझी 65 15
मझौली 194 09
गोरखपुर 105 39
जबलपुर 298 59
शहपुरा 196 49
पनागर 395 72
कुंडम 271 37
पाटन 129 05
सिहोरा 489 112
(नायब व अतिरिक्त तहसीलदार के आंकड़े शामिल नहीं)
सीमांकन का काम पारंपरिक पद्धति के अलावा टोटल स्टेशन मशीन से किया जाता है। सीओआरएसनेटवर्क आधारित भूखंड सर्वेक्षण से कार्य होना है, अभी इस संबंध में शासन से निर्देश आना शेष हैं।
डॉ. ललित ग्वालवंशी, अधीक्षक भू-अभिलेख