जबलपुर

एमपी की वो शख्सियत, जिन्होंने करवाया संविधान का हिंदी अनुवाद, अधूरा रह गया ‘राजभाषा’ का सपना

Republic Day 2025 Special: मध्य प्रदेश के जबलपुर से सांसद थे साहित्यकार सेठ गोविंददास, संविधान सभा में समझाया हिंदी कितनी जरूरी, हिंदी को नहीं मिला राजभाषा का दर्जा तो लौटा दिया पद्मभूषण सम्मान…

जबलपुरJan 25, 2025 / 03:45 pm

Sanjana Kumar

Republic Day 2025 Special: सेठ गोविंददास की गोद मे पौत्र बाबू चन्द्रमोहन दास, पीछे खड़े पुत्र बाबू मनमोहन दास.

Republic Day 2025 Special: संविधान की रचना से संस्कारधानी का गहरा नाता है। जबलपुर सांसद रहे साहित्यकार सेठ गोविन्ददास संविधान सभा के उन सदस्यों में से एक थे, जिन्होंने संविधान के प्रारूप पर हस्ताक्षर किए। उनके पौत्र बाबू चंद्रमोहन दास बताते हैं, अंग्रेजी में लिखित संविधान को समझने में आम हिंदुस्तानी को दिक्कत होना स्वाभाविक था।
ऐसे में गोविन्ददास अकेले व्यक्ति थे, जिन्होंने संविधान का हिंदी अनुवाद कराने को लेकर संविधान सभा व संसद के समक्ष संघर्ष किया। उन्हीं के अथक प्रयासों का फल है कि संविधान का हिंदी में अनुवाद कराया गया। बाबू चंद्रमोहन दास ने बताया, दादाजी अक्सर अफसोस करते थे, मूल संविधान राष्ट्रभाषा हिंदी में नहीं लिखा गया।

लौटा दिया था पद्मश्री सम्मान

सेठ गोविंददास के प्रपौत्र बाबू विश्वमोहन दास कहते हैं, सेठ गोविंददास को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए 1961 में पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। लेकिन, 1968 में अनु. 343 में संशोधन का प्रस्ताव पारित होने से हिंदी को राजभाषा बनाने का सपना अधूरा रह गया। खिन्न होकर उन्होंने सम्मान सरकार को लौटा दिया।

समझने में हुई आसानी

संविधान की रचना में कई देशों के संविधान के अंश लिए गए थे, लिहाजा इसका हिंदी रूपांतरण लागू करना उस समय टेढ़ी खीर थी। संविधान का अंग्रेजी वर्जन ही मान्य था। अंतत: सेठ गोविन्ददास के प्रयासों से संविधान का हिंदी अनुवाद कराया गया। जबलपुर के ब्यौहार राजेन्द्र सिंह भी सेठ के साथ इस मसले को लेकर संघर्षरत रहे। हालांकि इस रूपांतरण को कानूनन प्रामाणिक नहीं माना जाता और कोर्ट की नजरों में संविधान का अंग्रेजी स्वरूप ही मूल व प्रामाणिक है।
ये भी पढ़ें: MP में गणतंत्र दिवस की तैयारियां पूरी, झांकी में दिखेंगे एमपी के चीते, ये कार्यक्रम होंगे खास


ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस पर रहेगा रूट डायवर्जन, इन रास्तों पर जाने से बचें, सुबह 6 बजे से आवाजाही बंद


    संबंधित विषय:

    Hindi News / Jabalpur / एमपी की वो शख्सियत, जिन्होंने करवाया संविधान का हिंदी अनुवाद, अधूरा रह गया ‘राजभाषा’ का सपना

    Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.