जबलपुर। अप्सराएं, नाम सुनकर एक ऐसी खूबसूरती की कल्पना होने लगती है। जिसके बारे में सिर्फ सोचा ही जा सकता है। लेकिन यदि आपको ऐसी ही अप्सराओं को सिद्ध करने और उनसे अपनी मुराद पूरी कराने का अवसर मिले तो ये भी किसी चमत्कार से कम नही होगा।
शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से आठ अप्सराएं निकलीं थीं। इनमें से प्रत्येक के पास आलौकिक और आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं। ऐसी शक्तियां जो किसी भी इच्छा को पलक झपकते ही पूरा कर सकती हैं। इनके पास सिर्फ अमरत्व के वरदान के अतिरिक्त वे सभी दिव्य शक्तियां होती हैं। जिनसे इस संसार में सभी सुखों का भोग किया जा सकता है।
अप्सराओं से कई तरह की कथाएं जुड़ी हैं, जिनका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। फिर चाहे वह ऋषि विश्वामित्र की तपस्या को भंग करना हो या किसी राजा की पत्नी बनना। बताते हैं कि कुबेर के पुत्र नलकुबेर के साथ रंभा पत्नी की तरह रहती थी लेकिन रावण उस पर मोहित हो गया और रंभा के साथ दुष्कृत्य करने का भी प्रयास किया।
उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा, पुंजिकस्थला स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सराएं मानी जाती हैं। शास्त्रों में देवराज इंद्र और उनकी अप्सराओं का विशेष उल्लेख मिलता है। जब-जब कोई ऋषि या मनुष्य या दानव तप करते थे तो इंद्र उनकी तपस्या भंग करने के लिए अप्सराओं का उपयोग करते थे।
किंतु अप्सराएं मिलना सौभाग्य की बात है। ये विद्या प्राप्त और पूर्ण करना हर एक के लिए संभव नही है। लेकिन इस सत्य को भी नकारा नही जा सकता कि योग और तप के बल पर अप्सरों को प्रसन्न किया जा सकता है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए उचित मुहूर्त में अनुष्ठान किया जाता है जो आप किसी अच्छे पंडित या जानकार से पूछ कर ही कर सकते हैं।
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