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सूरत, गुजरात निवासी सौम्या खंडेलवाल, शुजालपुर निवासी शताक्षी दुबे व अन्य की ओर से याचिका दायर कर कहा गया है कि वे एनआरआई की निर्धारित परिभाषा के तहत आते हैं। इसके बावजूद उनके प्रवेश निरस्त कर दिए गए। हाइकोर्ट के निर्देश पर डीएमई ने एनआरआई कोटे के तहत दिए गए 114 एडमिशन की जांच की थी, इनमें से 107 एडमिशन गलत पाए गए। डीएमई ने 28 नवम्बर को यह प्रवेश निरस्त करने का आदेश जारी किया था। कहा था कि कॉलेज इन स्टूडेंट को रोल से हटा दें और उनकी फीस लौटाएं। इस आदेश से प्रभावित छात्रों ने चुनौती दी है।
चार माह से नहीं हुआ आदेश का पालन
वहीं खंडवा के प्रांशु अग्रवाल, आदिश जैन व अन्य प्रवेश से वंचित छात्रों ने मामले में कैवियट दायर की है। कैवियटकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि डीएमई ने १०७ अवैध पाए गए प्रवेश निरस्त करने के आदेश दिए थे। उक्त आदेश का पालन करने का प्रयास ही नहीं हुआ। चार माह बीतने के बाद अब भी यह छात्र सम्बंधित कॉलेजों में पढ़ रहे हैं। अन्यथा कैवियटकर्ताओं को प्रवेश मिल जाता। इस पर कोर्ट ने निजी कॉलेजों को इस सम्बंध में शपथ पत्र देने के निर्देश दिए।