जबलपुर। वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए पीयूसी सेंटर खोले गए हैं, जिसमें वाहन की जांच के बाद उसे प्रदूषण प्रमाण पत्र दिया जाता है। लेकिन हकीकत यह है कि पीयूसी सेंटरों में ऑटो चालक प्रमाण पत्र लेने नहीं पहुंच रहे हैं।
तीन माह में एक बार- सवारी ऑटो के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र तीन माह तक वैध होता है। जानकार कहते हैं कि ऑटो चलाने वाले एक बार पीयूसी लेने के बाद दोबारा उसे नहीं लेते। सूत्रों का कहना है कि क्षेत्रीय परिवहन विभाग व यातायात की चैकिंग के दौरान दस्तावेज नहीं होने पर ऑटो चालक सेटिंग कर कार्रवाई से बच जाता है।
एक दशक पुराने ऑटो भी चल रहे
बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र के दौडऩे वाले ऑटो तो हैं ही लेकिन, शहर में ढाई हजार ऑटो एेसे हैं, जो कंडम हो चुके हैं। क्षेत्रीय परिवहन विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज ढाई हजार डीजल ऑटो 10 वर्ष की लाइफ पूरी कर चुके हैं। अधिकतर ऑटो बिना परमिट, फिटनेस और प्रदूषण जांच के चल रहे हैं, जिन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
डीजल ऑटो पर नहीं लगाम
शहर में डीजल ऑटो पर रोक नहीं लगाई जा सकी। बेधड़क डीजल ऑटो शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों में चल रहे हैं। गांव के परमिट पर ऑटो शहरी सीमा में चल रहे हैं। अ.टूबर माह में 500 डीजल ऑटो का रिनुअल समाप्त हो गया था।
ठंडे बस्ते में कवायद
पूर्व में जेसीटीएसएल की बैठक में कंडम ऑटो (10 साल पुराने) को लाल रंग से चिंहित करने का निर्णय लिया गया था। आरटीओ द्वारा फ्लाइंग स्.वाड टीम भी बनाई थी, लेकिन टीम का कार्य शुरू नहीं हो सका। 12 हजार ऑटो में से करीब 2500 डीजल ऑटो एक दशक पुराने हैं।
फिटनेस कराते समय प्रदूषण प्रमाण पत्र की जांच की जाती है। समय-समय पर अलग से भी जांच की जाती है। यदि बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र के ऑटो संचालित हो रहे हैं तो परिवहन विभाग की टीम जांच करेगी।
संतोष पॉल, आरटीओ