Museum : संस्कारधानी के समृद्ध इतिहास स्मृतियो को भंवरताल स्थित रानी दुर्गावती संग्रहालय में संजोकर रखा गया है। यहां आदिमकाल से लेकर मौर्यकाल, कलचुरिकाल, मुगल व मराठों के शासनकाल की स्मृतियां पुरावशेषों के रूप में संरक्षित हैं। लेकिन, इनका ठीक से संरक्षण नहीं हो रहा है। एक साल पहले भोपाल से आए पुरातत्व विभाग के दल ने संग्रहालय के बाहर रखी कुछ मूर्तियों का केमिकल ट्रीटमेंट किया था। बड़ी संख्या में बाहर रखे पुरावशेषों को अब भी ऐसे ट्रीटमेंट व संरक्षण की दरकार है।
संग्रहालय को पुरावशेष उपलब्ध कराने में ब्रिटिशकालीन डिप्टी कमिश्नर राय बहादुर डॉ. हीरालाल के परिवार का भी योगदान है। उनके कटनी स्थित रायबाड़ा से बड़ी संख्या में पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं प्राप्त की गई थीं। यहां हीरा वाटिका पटना द्वार का निर्माण भी प्रदर्शित किया गया है। पुरातत्व प्रेमियों का कहना है कि धूल, धूप और बारिश से इस द्वार पर लगे पुरावशेषों और कलावीथिका के द्वार पर सजाई गई दूसरी शताब्दी की यक्षिणियों की प्रतिमाओं के रंग फीके पड़ गए हैं।
Museum : पुरातात्विक धरोहर का खजाना
संग्रहालय का भवन दोमंजिला व विज्ञान के निर्दिष्ट सिद्धांतोंके अनुरूप है। यहां भूतल पर चार दीर्घाएं, कला वीथिका ऑडिटोरियम हैं। प्रथम तल पर भी चार दीर्घाएं हैं। इनमें शैव दीर्घा, वैष्णव दीर्घा, जैन दीर्घा, सूचकांक दीर्घा, उत्खनन अभिलेख दीर्घा, मुद्रा दीर्घा व आदिवासी कला दीर्घा हैं। कुछ प्रस्तर कलाकृतियों को संग्रहालय प्रांगण के उद्यान में खुले में रखा गया है। महाकोशल, बुंदेलखंड, विंध्य एवं छत्तीसगढ़ की गौरवशाली ऐतिहासिक धार्मिक, पुरातात्विक धरोहर की पाषाण मूतियां, शिलालेख, ताम्रपत्र, सोने-चांदी, अन्य धातुओं के सिक्के व अन्य वस्तुओं का अनूठा संग्रह है। इसमें सनातन धर्म, जैन, बौद्ध व अन्य संप्रदायों का भी पुरातात्विक संग्रह है। जानकारी के अनुसार संग्रहालय में मुक्ताकाश के नीचे रखे पुरावशेषों को मिलाकर 6163 पुरावशेष संग्रहीत हैं।
Museum : पेडस्टल की सजावट
संग्रहालय भवन के बाहर परिसर में रखे पुरावशेषों के पेडस्टल की सजावट की जा रही है। इनमें पुट्टी कराई जा रही है। इसके बाद रंगरोगन होगा।
Museum : Museum : बीते वर्ष हुआ था ट्रीटमेंट
संग्रहालय के केयर टेकर ने बताया कि परिसर में रखे पुरावशेषों का केमिकल ट्रीटमेंट करने गत वर्ष भोपाल से टीम आई थी। टीम ने कुछ प्रमुख पुरातात्विक महत्व की मूर्तियों का ही ट्रीटमेंट किया था।
बाहर रखे पुरावशेषों की देखभाल होती है। अभी इनके पेडस्टल की सजावट की जा रही है। फिलहाल अन्य कोई संरक्षणात्मक कार्य के लिए शासन की कोई योजना नहीं है।
केएल डाबी,डिप्टी डायरेक्टर, पुरातत्व विभाग
Museum : संग्रहालय के मुक्ताकाश में रखे गए पुरावशेष अति प्राचीन हैं। धूप, धूल और बारिश से पत्थरों का क्षय होता है। रंग भी फीके पड़ जाते हैं। यदि इन्हें धूप, धूल से नहीं बचाया गया तो इनका मूल स्वरूप बदल सकता है।
डॉ. आनंद सिंह राणा, इतिहासकार
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