जबलपुर. प्रदेश में अब नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता इंडियन मेडिकल काउंसिल के मानकों के आधार पर ही मिलेगी। राज्य के नियम लागू नहीं होंगे। कॉलेजों में दाखिले कॉमन एंट्रेस टेस्ट की मेरिट पर होंगे। अभी यह व्यवस्था सिर्फ सरकारी नर्सिंग कॉलेजों पर लागू थी। अब निजी कॉलेज व विश्वविद्यालय पर भी लागू होगी। गुरुवार को हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी और अचल पालीवाल की डबल बेंच से सरकार से इसकी अनुमति मांगी। इसे रिकॉर्ड पर लेकर कोर्ट ने नई व्यवस्था के तहत 2024-25 की मान्यता जारी करने के आदेश दिए।
कॉलेजों को मान्यता केंद्र के मानकों के आधार पर राज्य सरकार ने वापस लिए पुराने नियम, अब 29 को सुनवाई पहले सरकार ने कोर्ट से सत्र 2024-25 की मान्यता देने की अनुमति मांगी थी। नर्सिंग शिक्षण संस्थानों को मान्यता देते हुए हेतु नए नियम 2024 में राजपत्र में प्रकाशित किए थे। इसे इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों के खिलाफ बता याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष विशाल बघेल ने चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने नए नियमों पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता के आग्रह पर कोर्ट ने महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि किराये के भवनों वाले कॉलेजों की मान्यता पर सरकार को प्रावधान के लिए सलाह दें।
एमयू से जवाब मांगा सुनवाई में अनसूटेबल और कमियों वाले कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों ने कोर्ट में आवेदन दिया। आग्रह किया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी (एमयू) सत्र 2021-22 की परीक्षाओं में उन्हें एनरोलमेंट जारी नहीं कर रही। परीक्षा देने नहीं दे रही। कोर्ट ने एमयू जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।
निजी यूनिवर्सिटी की आपत्ति हाईकोर्ट से नर्सिंग काउंसिल के सत्र 2023-24 की मान्यता संबंधी पहले लगाए आवेदन वापस लेने का आग्रह भी किया गया। इस पर निजी यूनिवर्सिटी ने आपत्ति ली, कहा-सरकार ने सत्र 2023-24 को शून्य किया। मान्यता प्रक्रिया शुरू नहीं की। कोर्ट ने काउंसिल व सरकार से पूछा कि इसके तहत 2023-24 के प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं दे सकते।
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