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जबलपुर

चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना के श्रेष्ठ मुहूर्त और वैदिक विधि

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और फिर पहले दिन की देवी से पूजा शुरू हो जाती है

जबलपुरMar 15, 2018 / 02:41 pm

Lalit kostha

puja, muhurat

kalash sthapana

जबलपुर। रविवार से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही हैं। लोगों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं मठ मंदिरों और देवी दरबारों में भी इसकी तैयारियों को लेकर चर्चा होने लगी है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार नवरात्रि आठ दिनों की होगी। इसमें अष्टमी व नवमीं तिथि एक साथ पड़ेगी। नवमीं तिथि का क्षय होने से ऐसा हो रहा है। नवरात्रि में प्रतिपदा के दिन घट स्थापना, अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन के साथ ही जवारे बोए जाएंगे।
गौरतलब है कि मां दुर्गा के जिन स्वरूपों की पूजा होती है उनमें माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि देवी हैं जो दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और फिर पहले दिन की देवी से पूजा शुरू हो जाती है।

महाराष्ट्र में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत गुड़ी पड़वा से और आन्ध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में उगादी से होती है। चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों के साथ ही हिंदु नवसंवत्सर शुरू हो जाता हैं। जो की ***** कैलेण्डर का पहला दिवस होता है। लोग साल के प्रथम दिन से अगले नौ दिनों तक माता की पूजा कर वर्ष का शुभारम्भ करते हैं। भगवान राम का जन्मदिवस चैत्र नवरात्रि के अन्तिम दिन पड़ता है और इस कारण से चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।


चैत्र नवरात्र घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ल के अनुसार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 18 तारीख को –
सुबह 08:30 से 08:30
सुबह 08:30 से 11:00
अविजित मुहूर्त 11:41 से 12:29
(इस साल शाम को घाट स्थापना मुहूर्त नहीं है)
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 17 मार्च 2018 को शाम 06:12 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 18 मार्च 2018 को 06:13 बजे

ऐसी रहेंगी चैत्र नवरात्र की तिथियां
प्रतिपदा तिथि 18 मार्च 2018, रविवार
द्वितीया तिथि 19 मार्च 2018, सोमवार
तृतीया तिथि 20 मार्च 2018, मंगलवार
चतुर्थी तिथि 21 मार्च 2018, बुधवार
पंचमी तिथि 22 मार्च 2018, गुरुवार
षष्ठी तिथि 23 मार्च 2018, शुक्रवार
सप्तमी तिथि 24 मार्च 2018, शनिवार
अष्टमी नवमी तिथि 25 मार्च 2018, रविवार

 

घटस्‍थापना का महत्व
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। धारणा है की कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित होती हैं। साथ ही ये भी मान्‍यता है क‍ि कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। इसलिए नवरात्र के शुभ द‍िनों में घटस्‍थापना की जाती है।


घट स्थापना के लिए सामग्री
– घट स्थापना के लिए कलश लें। ये मिट्टी ,सोना, चांदी, तांबा अथवा पीतल का हो सकता है। लेकिन लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग न करें। साथ ही कलश ढकने के लिए ढक्कन।
– ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल
– कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के
– मिट्टी का पात्र, मिट्टी और जौ :- जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र और शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें जौ को बोया जा सके
– कलश में भरने के लिए शुद्ध जल। अगर गंगाजल मिल जाये तो उत्तम होता है
– पानी वाला नारियल और इस पर लपेटने के लिए लाल कपडा
– मोली या लाल सूत्र
– इत्र
– साबुत सुपारी
– दूर्वा
– पंचरत्न
– अशोक या आम के पत्ते
– फूल माला


कलश स्थापना विधि
पूजा स्थल को शुद्ध करने के बाद इस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर थोड़ा चावल रख लें और गणेश जी का स्मरण करें। इसके बाद मिट्टी के पात्र में जौ बोना चाहिए। पात्र के उपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और इसके मुख पर रक्षा सूत्र बांध लें। कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊं बना लें। कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल, सिक्का डालें। उसके ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखें और फ‍िर ऊपर नारियल रख दें। इसके बाद इस पर लाल कपड़ा लपेट कर मोली लपेट दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें क‍ि नौ दिनों के लिए वे इसमें विराजमान हों। अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती जलाएं, माला अर्पित करने के बाद कलश को फल, मिठाई, इत्र आद‍ि समर्पित करें।

नारियल रखते हुए ध्‍यान में रखें ये बातें
ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर हो, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है। नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे।

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