सरकार की ओर से कोर्ट में यह तक कहा गया कि इस बार माफ कर दिया जाए। अगली गलती होने पर मंत्री को हटा दिया जाएगा। कोर्ट ने इसे नहीं माना। मंत्री ने पहाडिय़ों से अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटाने के लिए कोर्ट के दिए गए आदेशों पर टिप्पणी की थी। मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मंत्री के व्यवहार और टिप्पणी को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी।
यह है मामला
जबलपुर की पहाडिय़ों से अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटाने के लिए हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता श्रेयस पंडित और अन्य ने मामले में याचिका दायर कर कहा कि 15 सितंबर को एक जनसभा में मंत्री लखन घनघोरिया ने लोगों से कहा कि उनके निर्माण नहीं टूटने दिए जाएंगे। घनघोरिया ने लोगों को भडक़ाने की कोशिश की। कोर्ट व उसके फैसले पर अवमाननाकारी टिप्पणी की। मामले से जुड़े एक वकील को भी धमकाया गया। मंत्री पर आपराधिक अवमानना की कार्रवाई की जाए।
कानून बनाने वाले ही कानून तोड़ें तो माफी नहीं: हाईकोर्ट
महाधिवक्ता शशांक शेखर ने कोर्ट से मंत्री घनघोरिया को माफ करने के लिए तगड़ी मनुहार की। मंत्री का लिखित माफीनामा पेश करते हुए महाधिवक्ता ने कहा कि यह मंत्री घनघोरिया की पहली और आखिरी गलती है। आगे से ऐसा नहीं होगा। इस पर कोर्ट ने कहा, सॉरी कहने से कुछ नहीं होता। माफी आम आदमी को मिलती है, सरकार के हिस्से को माफ करना असंभव है। आपराधिक अवमानना कोई सामान्य शब्द नहीं, बहुत सख्त कानूनी व्यवस्था है। कोर्ट ने दो टूक कहा, कोर्ट एक इंच भी नहीं डिगेगी। ज्यादा मनुहार की तो आज अभी मंत्री के खिलाफ आदेश पारित किया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने माफीनामा ठुकराते हुए मंत्री को 3 अ?टूबर तक जवाब पेश करने को कहा।
सॉरी से कुछ नहीं होता: कोर्ट कलेक्टर-कमिश्नर कुछ नहीं करते
कोर्ट ने सरकार की ओर से पेशप प्रगति रिपोर्ट भी ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा, लाखों रुपए वेतन लेकर भी कलेक्टर और कमिशनर नहीं आए। उन्होंने कुछ नहीं किया। सिर्फ समय लेते हैं, रिपोर्ट पेश नहीं करते। आज की रिपोर्ट अर्थहीन है। इसलिए ठोस कार्रवाई के बाद रिपोर्ट पेश करें।