बजट के प्रमुख प्रावधान
प्रावधान- कला, संस्कृति व पुरातात्विक गतिविधियों का विकास।
अमल- एेतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के शहर में मदन महल किले को संवारने का काम नहीं हुआ। लम्हेटाघाट, भेड़ाघाट के पुरातात्विक महत्व के प्राचीन मंदिरों की उपेक्षा जारी है।
प्रावधान- खेलों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास।
अमल- शहर, ग्रामीण क्षेत्र दोनों ही जगह विकसित हुए नहीं स्टेडियम। २६ लाख की आबादी वाले जिले में राष्ट्रीयस्तर का एक भी स्टेडियम नहीं बना।
प्रावधान-ग्रामीण क्षेत्रों में पांच किमी के दायरे में अल्ट्रा स्मॉल बैंक की स्थापना।
अमल- जिले के दूरस्थ गांवों में बैंकों की शाखा या अल्ट्रा स्मॉल बैंक स्थापित करने के प्रयास नहीं हुए। नतीजतन ग्रामीणों को छोटे काम के लिए भी ८-१० किमी की दूरी तय कर बैंक जाना पड़ता है।
प्रावधान-पशु उपचार के लिए पॉली क्नीनिक व रोग अनुसंधान केन्द्र स्थापना की घोषणा।
अमल-केन्द्र की स्थापना हो गई, कार्य शुरू हो गया और पशुओं को अच्छा इलाज मिल रहा है।
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प्रावधान- मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी स्वास्थ्य सेवा विकसित करना।
अमल- सुपर स्पेशलिटी सेंटर बन गया है। हालांकि, इसके शुभारम्भ अभी इंतजार किया जा रहा है।
प्रावधान-नवकरणीय ऊर्जा बढ़ाने का प्रयास।
अमल- कलेक्ट्रेट, रेलवे डीआरएम कार्यालय, आईएसबीटी, ललपुर, रमनगरा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में सोलर पैनल लगे। बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है।
प्रावधान- माइक्रो इरिगेशन।
अमल- जल संकट से जूझने वाले पथरीले कुं डम इलाके में तीन जल संरचना विकसित की जा रही है।
प्रावधान- नर्मदा तट पर पौधरोपण।
अमल-जिले में ५० लाख पौधे रोपे गए।
प्रावधान- स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगरीय सीमा को खुले में शौच से मुक्त करना।
अमल- नगर निगम सीमा में निजी व सार्वजनिक शौचालय बनाकर ओडीएफ किया।
प्रावधान-आईटीआई को उत्कृष्ट बनाना।
अमल- आईटीआई को अपग्रेड किया जा रहा है।
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टैक्सेशन का पूरा हिस्सा जीएसटी में चला गया है। एेसे में आशा है कि सरकार बजट में किसी नए टैक्स का प्रावधान नहीं करेगी। उपेक्षित रहे महाकोशल व विंध्य क्षेत्र को इस बार बड़ा पैकेज मिलना चाहिए। ताकि, बड़े उद्योग विकसित
हो सकें।
– रवि गुप्ता, अध्यक्ष, महाकौशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
वित्त मंत्री को प्रस्ताव दिया है कि केंद्र सरकार जिन जनहितैषी योजनाओं में प्रावधान किया है, इस बार राज्य सरकार उनमें कम प्रावधान करे। बल्कि, नए प्रावधान करे। बजटीय घाटा कम करने स्थापना व्यय में कटौती करनी चाहिए। एक विभाग के कई विभाग बना दिए हैं। दुनिया के अन्य देशों की तरह व्यापारियों के लिए कल्याण कोष बने।
– हिमांशु खरे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री