जीसीएफ के लिए यह ट्रायल काफी महत्वपूर्ण है। इसकी सफलता तोप के भविष्य की दिशा को तय करेगी। यही कारण है कि जिन गड़बडि़यों के कारण बीते साल ट्रायल फेल हुआ था, उसे दूर करने में काफी वक्त लगाया गया। यही नहीं खुद जीसीएफ ने तोप की क्षमताओं को परखने के लिए खुद फायरिंग कराई। अब इस तोप को सेना के द्वारा परखा जा रहा है।
गन कैरिज फैक्ट्री में तैयार की गई इस तोप के माध्यम से ३८ से ४० किलोमीटर दूरी तक निशाना साधा जा सकता है। इससे पहले स्वीडन से मंगाई गई बोफोर्स तोप २९ किमी तक मार कर सकती थी। इसी तोप को अपग्रेड कर धनुष तोप को तैयार किया गया है। इसमें कई बदलाव किए गए हैं। इस कारण सटीक निशाना लगाना आसान हो गया है । हालांकि अभी तक सेना ने इस तोप को औपचारिक रूप से अपने बेडे़ में शामिल नहीं किया है।
– धनुष तोप की फायरिंग बुधवार से शुरू हो रही है। इसकी बेहतर तैयारियां की गई हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि इस बार का परीक्षण भी पूरी तरह सफल होगा।
एसके सिंह, जीसीएफ वरिष्ठ महाप्रबंधक,