आठ विंग में करीब 1500 क्वार्टर की बनी ईडब्ल्यूएस क्वार्टरों में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। आलम यह है कि यहां कॉलोनियों के आसपास कचरा फैला हुआ है। यह कचरा एक जगह नहीं बल्कि पूरी ईडब्ल्यूएस कॉलोनी में है। इस कचरे की वजह से यहां लोगों का घरों से निकलना दूभर है। झाडि़यों की कटाई नहीं होने से जगह-जगह झाडि़यां पैदा हो गई है। नालियों की हालत यह हो गई है कि जिसमें कचरा ही दिखाई देता है। गर्मी में नालियां सूख चुकी हैं। पानी की निकासी बंद हो गई है।
बगीचा हो गया मैदान कॉलोनी के बीच में बना बगीचे ने मैदान का रूप ले लिया है। यहां पौध के नाम पर चंद झाडि़यां ही बची है। इस मैदान में भी कचरा भरा पड़ा है। गौरतलब है कि यहां बारिश के समय झाडि़यां हो जाती है, जिससे यहां कॉलोनीवासी वहां जा नहीं पाते हैं।
नहीं लगती झाड़ू क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक यहां कभी भी झाड़ू नहीं लगती है। यहां कोई भी सफाई कर्मचारी नहीं आता है। निगम की डोर-टू-डोर सेवा का फायदा कॉलोनी को नहीं मिल पाया है। यहां कचरा लेने कोई भी गाड़ी नहीं आती है।
नतीजा: कचरा नहीं लेने की वजह से लोग अपने घरों से बाहर ही कचरा फेंक देते हैं। इससे यह कचरा हवा की वजह से फैल रहा है। कुछ लोगों ने खाली मैदान को कचरा फेंकने की जगह बना ली है।
नालियों में भरी पॉलीथिन बहुमंजिला इमारतों के नीचे नालियों में पॉलीथिन भरी पड़ी है। पॉलीथिन की वजह से पानी की निकासी बंद हो गई है। घरों से निकलने वाला कचरा नालियों में ही सूख जाता है, जिससे यहां दुर्गंध फैल रही है।
संक्रमण का खतरा: नालियों में कचरे की मौजूदगी और पानी के सोखने की वजह से यहां संक्रमण होने के हालात निर्मित हो रहे हैं। जानकार कहते हैं कि कचरा सडऩे की स्थिति में कार्बन डाईऑक्साइड गैस बनती है, जो लोगों के लिए खतरनाक है।
यहां कोई भी सफाई कर्मचारी नहीं आता है। जरूरत पडऩे पर हमें ही बुलवाना पड़ता है, तभी सफाई हो पाती है।
विनोद
बारिश के पहले दिखाने के लिए एक बार सफाई कर दी जाती है लेकिन उसके बाद यहां कोई नहीं आता है।
दिवाकर
कई बार यहां दफ्तर में शिकायत की गई है लेकिन कुछ नहीं होता है। आश्वासन दे देते हैं लेकिन उसके बाद कोई नहीं आया।
संजीव