3875 ने कराया पंजीयन
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 1600 सीटें हैं। केएमवाय.जीओवी.इन वेबसाइट के अनुसार पिछले वर्ष 6800 लोगों ने पंजीयन कराया था। इस साल 3875 लोगों ने पंजीयन कराया है।
अद्भुत होती है यात्रा
चीन बॉर्डर पर आइटीबीपी तीर्थयात्रियों को चीनी पुलिस को सौंप देती है। लिपुलेख दर्रा मार्ग पर पिथौरागढ़ से आगे नारायण आश्रम से पैदल यात्रा करना पड़ता है। 145 किमी की पैदल यात्रा 10 दिन में पूरी होती है। आस्था और उत्साह के कारण लोगों के कदम स्वत: बढ़ते जाते हैं। 13 हजार 500 फीट चढ़ाई के बाद ओम पर्वत के दर्शन होते हैं। राक्षसताल के बाद यमद्वार से 12 किमी दूर कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं। परिक्रमा के बाद रात 2 बजे के बाद कैलाश पर्वत से निकलने वाली दिव्य ज्योतियों के मानसरोवर में समाहित होने का दृश्य अदïभुत होता है। नाथू ला दर्रा मार्ग से जाने वाले यात्रियों को हेलीकॉप्टर और बस से कैलाश पर्वत के पास यमद्वार मंदिर तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद 48 किमी लम्बी परिक्रमा शुरू होती है।
अन्य राज्यों में अनुदान अधिक
वर्ष 2018 में कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले शहर के अधिवक्ता योगेश सिंह चंदेल ने बताया, नाथू ला दर्रा से 2 लाख रुपए और लिपुलेख से यात्रा करने पर 1.60 लाख रुपए खर्च होते हैं। गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में एक लाख रुपए अनुदान दिया जाता है, जबकि मध्यप्रदेश में यात्रा खर्च की 50 प्रतिशत राशि या 30 हजार रुपए ही देने का प्रावधान है। उन्हें अभी तक आवेदन नहीं मिला है। वर्ष 2017 में जबलपुर से दो और वर्ष 2018 में तीन लोगों ने धर्मस्व विभाग में अनुदान के लिए आवेदन किया है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का प्रचार प्रसार किया जाता है। इस योजना में तीर्थ यात्रियों की संख्या कम है। आवेदन करने वाले कुछ लोग मेडिकल फिटनेस के कारण बाहर हो जाते हैं। इनके दस्तावेज पूरे नहीं जमा होंगे, उन्हीं को अनुदान नहीं मिला होगा।
शाहिद खान, प्रभारी धर्मस्व शाखा, कलेक्ट्रेट