दरअसल, शहर में बन रही रिंग रोड के लिए लगातार पेड़ों की कटाई चल रही है। पैकेज चार में पनागर क्षेत्र में सड़क के निर्माण के लिए तीन हजार वृक्षों की कटाई होनी हैं। इसकी जानकारी और अनुमति के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा। इसकी भनक क्षेत्रीयजनों को लगी तो वे खुद ही वृक्षों को काटने के लिए पहुंच गए। कोई कुल्हाडी तो कोई आरी और हंसिया लेकर पहुंचा। प्राधिकरण ने इन लोगों पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा है।
रिंग रोड के लिए शासकीय के साथ ही निजी भूमि पर लगे वृक्षों को काटा जाना है। जितने वृक्ष काटे जा रहे हैं, उसमें प्रत्येक पेड़ के बदले एनएचएआई को 10 पौधों को रोपना है। ऐसे 50 हजार पौधे लगाए जाएंगे। कटाई की प्रक्रिया शुरू होती, इससे पहले जब लोगों को जानकारी लगी तो उन्होंने खुद ही इन वृक्षों को काटना शुरू कर दिया। वे इसकी लकड़ी का इस्तेमाल करना चाहते हैं। इसमें कुछ वृक्ष तो ऐसे हैं जिन्हें लोगों ने खुद ही बड़ा किया। अब वे ही उसे काटने पर तुले हैं। बताया जाता है कि एनएचएआई के कर्मचारियों ने कई बार उन्हें मना किया लेकिन वे नहीं माने। इसलिए अब प्रशासन से कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।
इस सडक़ के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की गई है। इसमें ज्यादातर निजी भूमि है। एनएचएआई अलग-अलग पैकेज में पेड़ों की कटाई की अनुमति मांग चुका है। छोटे और बड़े आकार वाले यह वृक्ष 33 गांवों में लगे हैं। इसमें जबलपुर और शहपुरा तहसील के मानेगांव से राष्ट्रीय राजमार्ग 45 तक का क्षेत्र शामिल है। दोनों ही तहसीलों के 12 गांव के आसपास यह वृक्ष लगे हैं। इनकी संख्या एक हजार 170 है। वहीं 21 गांव पनागर और कुंडम तहसील के अंतर्गत आते हैं। इनकी संख्या 13 सौ है। इस प्रकार दो हजार 480 पेड़ों को काटा जा रहा है।