जबलपुर। मध्यप्रदेश का सबसे पहला इंजीनियरिंग कॉलेज जबलपुर में खुला था, यह बात तो शिक्षा से जुड़े प्रदेश के तकरीबन हर नागरिक को पता है। लेकिन देश की सबसे पहली हाईवोल्टेज लैब और वर्किंग कंडीशन में देश का सबसे बड़ा बॉयलर जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (जेईसी)में हैं, यह बात बिरले लोग ही जानते हैं। आईए हम आपको प्रदेश के सबसे पुराने शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के कुछ अनछुए पहलुओं से अवगत कराते हैं।
छोटे से कमरे में हुई थी शुरूआत
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज की शुरूआत आजादी केे चंद दिनों पूर्व 7 जुलाई 1947 को हुई थी। स्थानीय रॉबर्टसन कॉलेज के एक छोटे से कमरे में इसका आरंभ हुआ था। वर्तमान में यह करीब 6 सौ एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में फैला है। 67 सालों के अरसे मे देश की इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में इस कॉलेज ने अपना अलग स्थान बना लिया है।
सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स में डिग्री
जेईसी इलेक्ट्रॉनिक्स व टेलिकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री देने वाला देश का सबसे पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है। जिस समय देश में दूरदर्शन का प्रादुर्भाव भी नहीं हुआ था, उस समय से यहां यह कोर्स पढ़ाया जा रहा है। उसी समय से यहां टेलिकम्यूनिकेशन विभाग की अलग लैब है। यहां कॉलेज का अपना टीवी स्टेशन भी है। इस लैब में एशिया का सबसे पहला टेलिविजन सिग्रल रिसीवर स्थापित किया गया था । माईक्रोवेव इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री की शिक्षा देने वाला भी जेईसी देश का पहला कॉलेज है।
1.3 मिलियन वोल्ट है क्षमता
जेईसी के इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में देश की 6 में से सबसे पहले स्थापित की गई हाई-वोल्टेज लैब है। इसकी क्षमता 1.3 मिलियन वोल्ट टेस्टिंग की है। यहां ट्रांसफॉर्मर, इंडक्शन मोटर्स व इंसुलेशन टेस्टिंग की जाती है। इसे एनएबीएल से मान्यता प्राप्त है।
राष्ट्रपति ने की थी तारीफ
1997 में कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोह में पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा यहां आए थे। उन्होंने समारोह के दौरान कॉलेज को देश के सर्वोच्च प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक बताते हुए इसकी शिक्षा व सुविधाओं की खासी प्रशंसा की थी।
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