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शहर में देश के पहले जियो पार्क और डायनासोर संग्रहालय की जागी उम्मीद
नर्मदा बेसिन में हैं करोड़ों साल पुरानी चट्टानें, प्रयास में जुटी टीमें
लम्हेटी रॉक्स करोड़ों साल पुरानी
जबलपुर में नर्मदा लगभग 60 कि लोमीटर क्षेत्र में प्रवाहित है। लम्हेटाघाट के आसपास की चट्टानों को लम्हेटी रॉक्स का नाम दिया गया है। ये चट्टानें करोड़ों साल पुरानी हैं। पुरातत्वविदें के अनुसार लम्हेटी रॉक्स की यहां मौजूदगी के कारण पूरा क्षेत्र जीव, वनस्पतियों पर अध्ययन का सबसे बेहतर केन्द्र बन सकता है।
शिलाओं का अद्भुत संतुलन
मदनमहल की पहाड़ी से लेकर बरगी हिल्स तक दस से ज्यादा स्थान पर ग्रेनाइट की करोड़ों साल पुरानी विशालकाय शिलाओं का अद्भुत संतुलन दुनियाभर के वैज्ञानिकों के भी जिज्ञासा का केन्द्र है। ये बैलेंसिंग रॉक 22 मई 1997 को आए भूकं प में भी नहीं डिगीं। जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 6.2 मैग्नीट्यूट आंकी गई थी।
डायनासोर का मिला था अंडा
पुरातत्वविदें के अनुसार सीता पहाड़ी व जीसीएफ की पहाड़ी में डायनानोसर के अंडे मिले थे। जिन्हें ब्रिटेन के संग्रहालय में संरक्षित रखा गया है। इन पहाडिय़ों में अभी भी डायनासोर के अवशेष हैं। जिन्हें लेकर डायानासोर पर केंद्रित संग्रहालय बनाने को लेकर भी विचार किया जा रहा है।
क्रोकोडाइल के लिए अनुकूल
परियट नदी व खंदारी जलाशय में क्रोक ोडाइल के संरक्षण के लिए सबसे अनुकूल परिस्थिति हैं। ऐसे में क्रोक्रोडाइल पार्क के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने को लेकर भी विभागों के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है।
नर्मदा बेसिन की करोड़ों साल पुरानी चट्टानों से लेकर डायनासोर के जीवाश्म मिलने समेत ऐसे कई कारण हैं जो यहां जियो पार्क की स्थापना के लिए जबलपुर को सबसे प्रबल दावेदार बनाते हैं। इस दिशा में संयुक्त टीम काम कर रही है।
– प्रो आरके शर्मा, समन्वयक, इंटेक
देशभर के पुरातत्वविदें, वैज्ञानिकों की परिचर्चा इसी विषय को लेकर आयोजित की थी। जिसमें काफी अच्छी जानकारी जुटाई गई है। जबलपुर में जियो पार्क की स्थापना के लिए मजबूत दावेदारी प्रस्तुत करने हरसम्भव प्रयास करेंगे। जिससे ये पूरा क्षेत्र भविष्य में वल्र्ड हेरिटेज साइट में शामिल हो सके।
– चंद्रमौलि शुक्ला, आयुक्त, नगर निगम जबलपुर