अफसरों की माने तो एन्ड्रायड एप से ज्यादा पारदर्शी और सटीक आंकलन किया जाता है। जिले में रबी सीजन की ताबड़तोड़ कटाई शुरू हो चुकी है और ऐसे में एप काम न करने से गणना नहीं हो पा रही। औसत पैदावार की गणना और नुकसान अथवा फसल खराब होने के आंकलन के लिए फसल कटाई प्रयोग किया जाता है। इसी के आधार पर फसल के नुकसान अथवा खराब होने पर बीमा के लाभ की गणना की जाती है। अब तक तहसील और पटवारी हलका स्तर पर मेनुअली क्रॉप कटिंग गणना की जाती थी। इसमें आंकलन में गड़बड़ी व फसल बीमा का लाभ एक समान नहीं मिल पाने की शिकायत रहती थी। भू-अभिलेख विभाग के अफसरों के अनुसार इसे इसरो के नेशनल रिपोर्ट सेंसिंग सेंटर ने क्रॉप कटिंग एक्सपेरीमेंट के लिए यह एंड्रायड एप्लीकेशन तैयार किया है। पूरे देश में अलग-अलग फसल बीमा योजना के बजाए एकरूपता के लिए लागू किया गया है।
ऐसे करता है काम
गणना के लिए १५८ पटवारी लगाए गए हैं। ३९ आरआई और कृषि विभाग के ४० आरईओ के मार्गदर्शन में डाटा फीड कराया जाना था। नियुक्त कर्मचारी के फोन में यह एप्लीकेशन अपलोड किया जाता है। एक्सपेरमीमेंट के दौरान कर्मचारी को एप चालू कर मोबाइल पर फसल का सेंपल लेने की जगह का फोटो, इसके साथ ही प्रयोग का वजन दर्ज करना है। इसके बाद की गणना और एप के जरिए जीपीएस से संबंधित जगह की संपूर्ण जानकारी अपने आप दर्ज होती है। इससे मौके पर गणना के प्रमाण के साथ वास्तविक डाटा सर्वर में चला फीड हो जाता है।
ऐसे होता था आंकलन
राज्य शासन द्वारा मानक पैदावार के आकलन का फार्मूला तय किया जाता है। इसके तहत क्रॉप कटिंग एक्सपेरीमेंट के लिए रेंडम आधार पर 5 बाई 5 यानि 25 वर्गमीटर क्षेत्रफल से पैदावार लिया जाता है। वजन को पहले 400 और बाद 83 से गुणा कर दिया जाता है। इस तरह प्राप्त अंक को सिंचित व असिंचित के आधार पर शासन के मानक पैदावार की मात्रा से भाग कर दिया जाता है। इस तरह जो अंक आता है उसे औसत पैदावार का प्रतिशत मान लिया जाता है।
मेनुअली में कई खामियां
अभी तक जिले में फसल कटाई में उत्पादन की गणना मेनुअली होती थी। गणना में खामियों के कारण परिणाम में गड़बड़ी की संभावना अधिक होती थीं। एक ही तहसील व हलके के पैदावार के आंकड़ों में अंतर होता है। पैदावार के आंकड़ें अलग-अलग होने के कारण बीमा लाभ में भी अंतर होता है।
फसल कटाई के लिए तैयार कराया गया मोबाइल एप काम नहीं कर रहा है। एरर आता है। इससे गणना नहीं हो पा रही है। इसके लिए अधिकारियों को अवगत कराया गया है। सुधार न होने की स्थिति में मैनुअली गणना कराई जाएगी।
– मायाराम कोल, भू-अभिलेख अधिकारी।
नई व्यवस्था से ये हैं लाभ
– गणना मोबाइल एप द्वारा आटोमेटिक की जानी है।
– आटोमेटिक गणना से सटीक परिणाम।
– गणना एप से व सीधे अफसरों की नजर।
– एप में फोटो व जीपीएस से गणना का प्रमाण।
– समय कम लगने के कारण ज्यादा गणना।
– नुकसान के आंकलन के साथ बीमा लाभ में एकरूपता।